मेहनत का नाम मजदूर है। मजदूर कड़कड़ाती सर्दी, भीषण गर्मी हो या फिर बारिश वह कठिन से कठिन हालातों में अपना पसीना बहाते हैं और अपना श्रम बेचकर अपने परिजनों का भरण, पोषण करने के साथ ही देश के विकास में योगदान देते हैं। देश के विकास में मजदूरों का सबसे बड़ा योगदान होता है और देश के निर्माण में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। मजदूरों के हिस्से में कभी कोई छुट्टी नहीं आती। रोज हाड़तोड़ मेहनत करता है। मजदूरों के बिना किसी भी औद्योगिक ढांचे के खड़े होने की कल्पना नहीं की जा सकती। इसलिए श्रमिकों का समाज में अपना ही एक स्थान है। 19वीं शताब्दी में संयुक्त राज्य अमेरिका में श्रमिक संघ आंदोलन में सभी मजदूर दिन में आठ घंटे काम की मांग के लिए एकत्रित हुए थे। सन 1889 में मार्क्सवादी इंटरनेशनल सोशलिस्ट कांग्रेस ने एक अंतर्राष्ट्रीय प्रदर्शन में मांग की कि श्रमिकों को दिन में 8 घंटे से अधिक काम नहीं करना चाहिए। इसके बाद यह एक वार्षिक आयोजन बन गया और 1 मई को मजदूर दिवस के रूप में मनाया जाने लगा। अगर हमारे देश की बात की जाए तो भारत में मजदूर दिवस मनाने की शुरुआत चेन्नई में
1 मई 1923 से हुई। मजदूरी के नाम पर बहुत कम मेहनताना मिलता है, जिससे मजदूरों को अपने परिवार का खर्चा चलाना मुश्किल हो जाता है। पैसों के अभाव से मजदूर के बच्चों को शिक्षा से वंचित रहना पड़ता हैऔर पैसे के अभाव में मजदूर अपना और अपने परिवार का समुचित इलाज नहीं करवा पाते। देश मे मजदूरों की समस्याओं को देखते हुए केंद उनके लिए कई योजनाएं चला रही है। सरकार ई-श्रम कार्ड के अलावा उन्हें कई और भी कई लाभ दे रही है। ई- श्रम योजना के तहत अब पीएम सुरक्षा बीमा योजना के अंतर्गत मजदूरों को 2 लाख रुपये तक का बीमा कवर दिया जा रहा है। अगर किसी दुर्घटना में अंसगठित क्षेत्र के श्रमिक की मृत्यु हो जाती है, तो सरकार की ओर से उसके परिवार को 2 लाख रुपये दिया जाता । वहीं, श्रमिक के विकलांग होने पर 1 लाख रुपये मिलते हैं। श्रम विभाग द्वारा संचालित की जा रही सभी योजनाओं जैसे- मुफ्त साइकिल, सिलाई मशीन, बच्चों को स्कॉलरशिप और आपके रोजगार के लिए फ्री उपकरणों आदि का फायदा भी दिया जाता है। जानकारी के मुताबिक,भविष्य में राशन कार्ड को इस योजना से जोड़ा जाएगा। इससे लाभार्थी मजदूर को देश में कहीं भी सरकारी राशन मिलेगा। साथ ही सरकार द्वारा ई-श्रम कार्डधारकों को हर महीने 5