देहरादून: गोवा के प्रसिद्ध नाइट क्लब में शनिवार देर रात लगी भीषण आग ने कई परिवारों को गहरे शोक में डुबो दिया। इस दुर्घटना में कुल 25 लोगों की मौत हुई, जिनमें नौ लोग उत्तराखंड के शामिल हैं। इनमें से पांच युवक नाईटक्लब में कर्मचारी थे, जबकि अल्मोड़ा जिले के चार लोग छुट्टियाँ मनाने गोवा गए थे। इस हादसे अल्मोड़ा जिले की तीन सगी बहनों की भी मौत हुई है।
जानकारी के अनुसार बीते शनिवार रात करीब 11:45 बजे गोवा के प्रसिद्ध Birch by Romeo Lane नाइटक्लब के पहले माले पर भीषण आग लग गई। बताया जा रहा है कि आग इनडोर पटाखों से शुरू हुई और लकड़ी से बने फर्नीचर के कारण तेजी से फैल गई। इस हादसे में करीब 25 लोगों की मौत हुई है। मृतकों में पर्यटक तथा क्लब के लगभग 20 स्टाफ सदस्य शामिल हैं। हादसे में घटनास्थल से बरामद शव बुरी तरह झुलस गए थे, जिससे पहचान मुश्किल हो रही है। कई परिवार डीएनए परीक्षण के आधार पर अपने प्रियजनों की पहचान होने का इंतजार कर रहे हैं।इस हादसे में उत्तराखंड के भी 9 लोगों की मौत हुई है, जिनमें जितेंद्र सिंह और सतीश सिंह, निवासी टिहरी गढ़वाल, मनीष सिंह, निवासी चंपावत, और पौड़ी जिले के सुमित नेगी और पिथौरागढ़ के सुरेंद्र सिंह, अल्मोड़ा के विनोद कबड़वाल और उनकी पत्नी की तीन बहनें—कमला, अनीता और सरोज शामिल हैं।
गोवा नाइट क्लब अग्निकांड हादसे में शिकार हुए पौड़ी जिले के छानी गांव के निवासी 29 वर्षीय सुमित नेगी तीन महीने पहले ही नौकरी की तलाश में गोवा पहुंचे थे। वे ‘Birch by Romeo Lane’ क्लब में शेफ के पद पर काम कर रहे थे। क्लब में आग लगने के बाद दम घुटने से सुमित ने मौके पर ही दम तोड़ दिया। परिवार ने बताया कि वह घर पर इकलौता कमाने वाला था, और उसकी मौत से परिवार पर दुखों का पहाड़ टूट पड़ा है।
पौड़ी गढ़वाल जिले के देवप्रयाग के छोटे से गांव संकुल्ड के 24 वर्षीय जितेंद्र सिंह भी इसी दुर्घटना के शिकार हुए। उनके पिता संता सिंह पिछले आठ वर्षों से लापता हैं, जिसके बाद से ही घर की ज़िम्मेदारी जितेंद्र और उनकी मां पर ही आ गई थी। जितेंद्र हाल ही में क्लब में काम पर लगे थे। हादसे की खबर सुनते ही उनकी मां रामप्यारी बदहवास हो गईं। परिवार के लिए यह दोहरी त्रासदी है—एक तरफ पिता की गुमशुदगी और अब बेटे की असमय मौत।
टिहरी गढ़वाल के चाह गडोलिया गांव के सतीश राणा पिछले एक वर्ष से गोवा के इस नाइट क्लब में काम कर रहे थे। परिवार उनका इंतजार कर रहा था, लेकिन हादसे ने पूरी उम्मीदें खत्म कर दीं।
पिथौरागढ़ जिले के सुरेंद्र, अमर सिंह के पुत्र, महज एक सप्ताह पहले ही गोवा में नौकरी करने पहुंचे थे। वे पेशे से कुक थे और इससे पहले चार वर्ष जर्मनी में भी काम कर चुके थे। वीज़ा संबंधी समस्याओं के चलते वे दोबारा विदेश नहीं जा पा रहे थे, इसलिए वे गोवा में नौकरी कर रहे थे। बीते तीन वर्ष पहले ही उनकी शादी हुई थी।
चंपावत जिले के नेत्र सलान क्षेत्र के मनीष सिंह महर भी इस अग्निकांड में मारे गए। वे आर्थिक रूप से कमजोर परिवार से आते थे और रोज़गार की मजबूरी ने उन्हें घर से दूर नौकरी पर भेजा था। रविवार को उनकी मौत की पुष्टि के बाद पूरे गांव में शोक छा गया है।









