उत्तराखंड के सरकारी गोदाम में चावल नहीं, स्कूलों में बच्‍चे ‘भूखे’

सरकारी सस्ता गल्ला गोदाम में चावल न पहुंचने से स्कूलों में मध्याह्न भोजन का संकट खड़ा होने लगा है। शहरी क्षेत्र में 30 स्कूल ऐसे हैं, जिनको सस्ता गल्ला की दुकानों से चावल सप्लाई किया जाता है। चावल उपलब्ध न होने के पीछे राइस मिलों को केंद्र सरकार से फोर्टिफाइड राइस कर्नेल (एफआरके) पौष्टिक चावल नहीं मिल पाया। जिससे राइस मिलर गोदामों में चावल नहीं भेज पा रहे हैं।

दरअसल, धान खरीद के बाद राइस मिलरों ने चावल तैयार कर दिए हैं। लेकिन एफआरके पौष्टिक आहार चावल न मिलने से राइस मिलर सरकारी गोदामों में चावल की सप्लाई करने से पीछे हट रहे हैं। सामान्य चावल में एफआरके का मिश्रण किया जाता है, जोकि चावल में पौष्टिक विटामिन को बढ़ाने का काम करता है।देहरादून शहर की बात की जाए तो खुड़बुड़ा क्षेत्र में आठ, बनियावाला में सात, विकासनगर क्षेत्र में तीन, इंद्रानगर में 11, जीवनवाला में एक सरकारी स्कूल है, जिनको सस्ता गल्ला विक्रेताओं के माध्यम से मध्याह्न भोजन का चावल सप्लाई किया जाता है। जिले के बाकी सरकारी स्कूलों में अक्षय पात्र के माध्यम से भोजन पकाकर विद्यार्थियों को परोसा जाता है। केंद्र से पौष्टिक आहार चावल न मिलने से भोजन का संकट खड़ा हो गया है।

वरिष्ठ विपणन अधिकारी हरेंद्र सिंह रावत ने बताया कि केंद्र से फोर्टिफाइड राइस कर्नेल पौष्टिक आहार चावल उपलब्ध होते ही राइस मिलरों को सप्लाई करने को कहा जाएगा। शहर से जुड़े क्षेत्रों के स्कूलों से सस्ता गल्ला विक्रेताओं के माध्यम से चावल सप्लाई किया जाता है। डीएसओ केके अग्रवाल ने बताया कि सस्ता गल्ला विक्रेताओं को स्कूलों में मध्याह्न भोजन के लिए चावल उपलब्ध कराने को कहा जा रहा है, लेकिन गोदाम में चावल उपलब्ध नहीं है। बताया कि उपभोक्ता भी सस्ता गल्ला विक्रेताओं के चक्कर काट रहे हैं। इस संबंध में खाद्य भवन को भी अवगत कराया जा चुका है।

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