नैनीताल: उत्तराखंड में इन दिनों लगातार हो रही भारी बारिश के कारण नदियां-नाले उफान पर हैं। ऐसे में कई गांवों के छात्रों स्कूल पहुँचने के लिए उफनती हुई नदियां पार करनी पड़ रही हैं। बीते दिनों रुद्रप्रयाग और चमोली जिलों के कुछ विडियो वायरल हुए थे, जिनमें छात्र अपनी जान जोखिम में डाल कर स्कूल पहुँच रहे हैं. इसी तरह नैनीताल जिले के आपदाग्रस्त राजस्व गांव चुकुम के छात्र-छात्राएं अपनी जान पर खेलकर स्कूल पहुँच रहे हैं। लेकिन प्रशासन का इनकी परेशानियों की ओर कोई ध्यान नहीं है।
जानकारी के अनुसार नैनीताल जिले के रामनगर तहसील के जंगलों और कोसी नदी के पार स्थित चुकुम गांव हर साल बरसात के मौसम में संपर्क से कट जाता है। चुकुम गांव रामनगर से लगभग 24 किलोमीटर दूर है और यहां लगभग 120 परिवार निवास करते हैं। चुकुम गांव एक आपदाग्रस्त राजस्व गांव है, जहां हर साल जीवन और शिक्षा दोनों पर खतरा मंडराता है। हर साल बरसात के समय कोसी नदी का जलस्तर बढ़ जाता है, जिससे गांव का संपर्क ब्लॉक, तहसील और जिले से पूरी तरह टूट जाता है। यहां के निवासी छात्र-छात्राओं को बरसात के दौरान जान जोखिम में डालकर उफनती नदी पार करके स्कूल जाना पड़ता है। ग्रामीणों को गांव से बाहर आवाजाही के लिए बहुत समस्याओं का सामना करना पड़ता है। तबियत खराब होने पर स्वास्थ्य सेवाओं के लिए और रोजमर्रा की वस्तुओं के लिए नदी पार कर 25 किलोमीटर दूर रामनगर जाना पड़ता है।
ग्रामीण 1993 से कर रहे हैं विस्थापन की मांग
ग्रामीण बीते तीन दशकों से पुल की मांग कर रहे हैं, लेकिन प्रशासन द्वारा उनकी मांग को अनसूना किया जा रहा है। ग्रामीणों का कहना है कि वे साल 1993 से विस्थापन की मांग कर रहे हैं, साल 2016 में एक सर्वे हुआ, लेकिन कोई ठोस कार्रवाई नहीं हो सकी। सरकार की ओर से उन्हें केवल आश्वासन ही दिया जाता है। चुकुम गांव के बच्चे रोजाना कोसी नदी को पार करके लगभग 3 किलोमीटर दूर मोहान में स्थित राजकीय इंटर कॉलेज जाते हैं। मानसून के दौरान जब नदी उफान पर होती है, तो समस्याएं अधिक बढ़ जाती हैं। छात्र अपने स्कूल बैग को सिर पर रखकर एक-दूसरे का हाथ पकड़कर उफानी नदी पार करते हैं। नदी पार करते हुए थोड़ी सी चूक हो जाने पर बच्चों की जान पर भारी पड़ सकती है। इसके साथ ही ग्रामीणों को बहुत सी समस्याओं का सामना करना पड़ता है।
कई बार छात्रों को बन जाता है जान का खतरा
छात्र-छात्राओं का कहना है कि चुकुम गांव में केवल कक्षा 1 से 10वीं तक का विद्यालय है। जिस कारण इंटर मिडिएट की पढ़ाई के लिए उन्हें मोहान आना पड़ता है। बच्चों को स्कूल जाने के लिए हर दिन नदी पार करते समय उनके कपड़े भीग जाते हैं, कई बार गिरकर चोट भी लगती है। कई बार नदी का तेज बहाव होने पर उनकी जान का खतरा बन जाता है। लेकिन क्या करें, पढ़ाई करने के लिए स्कूल तो जाना ही पड़ता है। छात्र बताते हैं कि वे स्कूल जाते समय अपने बैग में एक जोड़ी कपड़े और जूते अतिरिक्त रखकर लाते हैं। नदी पार करने के बाद वे पेड़ों की आड़ में कपड़े बदलते हैं और फिर स्कूल पहुंचते हैं।
सिस्टम को ग्रामीणों की परेशानियों से कोई लेना देना नहीं है
साल 2021 में जब स्थिति अत्यधिक गंभीर हो गई थी, तब प्रशासन को हेलीकॉप्टर से खाद्य सामग्री पहुंचानी पड़ी थी। ग्रामीण कहते हैं कि बरसात में नदी के उफान पर होने के कारण उन्हें खासी परेशानियों का सामना करना पड़ता है। बरसात के समय उन्हें रोजमर्रा की वस्तुएं पहले से ही जुटाकर रखनी पड़ती हैं। पिछले तीन दशक से विस्थापन का इंतजार कर रहे चुकुम गांव के लोग मुफलिसी में जीवन यापन कर रहे हैं। लेकिन सिस्टम को यहां के बच्चों के साहस और माता-पिता की चिंता से कोई लेना-देना नहीं है।