उत्तराखंड: 7 लाख रुपए तनख्वाह देने को राजी सरकार, पहाड़ चढ़ने को क्या डॉक्टर होंगे तैयार ?

देहरादून: उत्तराखंड सरकार ने पर्वतीय क्षेत्रों के सरकारी अस्पतालों में विशेषज्ञ डॉक्टरों की भारी कमी को देखते हुए एक महत्वपूर्ण कदम उठाया है। राज्य सरकार अब यू कोड वी पे योजना के तहत पर्वतीय जिलों में तैनात किए जाने वाले सुपर स्पेशलिस्ट डॉक्टरों को सात लाख रुपये तक का मासिक वेतन देने को तैयार है।

उत्तराखंड के दूरस्थ और दुर्गम पहाड़ी क्षेत्रों में विशेषज्ञ डॉक्टरों की लंबे समय से कमी बनी हुई है। पहाड़ी क्षेत्रों सरकारी अस्पताल होने के बावजूद मरीजों को मैदानी जिलों के अस्पतालों पर निर्भर रहना पड़ता है। पर्वतीय क्षेत्रों के अस्पताल रेफरल सेंटर बनकर रह गए हैं, क्योंकि चिकित्सकों की कमी के कारण इन अस्पतालों में आने वाले ज्यादातर मरीजों को शहरी अस्पतालों में रेफर किया जाता है। उत्तराखंड सरकार ने पर्वतीय क्षेत्रों की समस्या को देखते हुए यू कोड वी पे योजना शुरू की थी, जिसके तहत डॉक्टरों को आकर्षक वेतन और सुविधाएं देकर पहाड़ों में सेवा के लिए प्रोत्साहित किया जाता है।

विशेषज्ञ डॉक्टरों को मिलेगा 7 लाख वेतन

इस योजना के तहत पहले विशेषज्ञ डॉक्टरों को अधिकतम पांच लाख रुपए तक वेतन देने का प्रावधान था। लेकिन सरकार का मानना है कि उन्नत सेवाओं और सुपर-स्पेशियलिटी ट्रीटमेंट के लिए और अधिक प्रेरक वेतन की आवश्यकता है। इसी कारण अब वेतन सीमा बढ़ाकर सात लाख रुपए प्रति माह कर दी गई है। प्रदेश स्वास्थ्य मंत्री डॉ. धन सिंह रावत ने वेतन सीमा बढ़ाने की पुष्टि करते हुए कहा कि राज्य सरकार पर्वतीय अस्पतालों में विशेषज्ञ सेवाओं का विस्तार करने के लिए लगातार प्रयासरत है। उन्होंने बताया कि पहाड़ के कई अस्पतालों में बेहतर संसाधन उपलब्ध हैं, लेकिन विशेषज्ञ डॉक्टरों की कमी है। राज्य सरकार को उम्मीद है कि वेतन वृद्धि से योग्य विशेषज्ञ चिकित्सकों को पहाड़ी क्षेत्रों में सेवा देने के लिए प्रेरित किया जा सकेगा।

विशेषज्ञ डॉक्टरों की कई जिलों में मांग

उत्तराखंड के कई पर्वतीय क्षेत्रों (चौखुटिया, पिलखी, बेलेश्वर, रुद्रप्रयाग, उत्तरकाशी, गैरसैंण, धुमाकोट और पिथौरागढ़) से लगातार सरकारी अस्पतालों में विशेषज्ञ डॉक्टरों की तैनाती की मांग उठ रही है। स्वास्थ्य सेवाओं के अभाव को लेकर स्थानीय लोगों में नाराज़गी भी बढ़ती जा रही है। ऐसी स्थिति में पहाड़ी लोगों का नाराज होना भी स्वभाविक है। क्योंकि कहीं जगह पर स्थानीय लोग कई किलोमीटर पैदल और कठिन मार्गों को पार करते हुए मरीज को क्षेत्रीय अस्पताल में पहुंचाते हैं और वहां से भी मरीज को रेफर किया जाता है। जिस कारण कई बार समय पर इलाज न मिलने के कारण अस्पताल पहुंचने से पहले ही मरीज की मौत हो जाती है। पहाड़ी लोगों की बढ़ती नाराजगी और आंदोलनों को देखते हुए सरकार पर चिकित्सकों की तुरंत तैनाती सुनिश्चित करने का दबाव बढ़ा है। सरकार का मानना है कि नई वेतन व्यवस्था लागू होने से अधिक संख्या में विशेषज्ञ डॉक्टर पहाड़ों में सेवा देने के लिए आगे आएंगे, जिससे इन क्षेत्रों में स्वास्थ्य सेवाओं की गुणवत्ता में सुधार होगा।

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