पर्यटन विकास ने रोका उच्च हिमालयी क्षेत्र में अब स्थायी पलायन, इस वजह से सिमट रहा कृषि दायरा

सीमांत पिथौरागढ़ जिले के उच्च हिमालयी क्षेत्र धारचूला-मुनस्यारी बढ़ते पर्यटन ने स्थायी पलायन को रोक दिया है जबकि वहां सरकारी योजनाओं से महिला सशक्तिकरण की रफ्तार बढ़ी है, अलबत्ता रोजगार, बेहतर शिक्षा व जीवन के लिए अस्थायी तौर पर पलायन हो रहा है लेकिन लोग अपने गांव से जुड़े हुए हैं। यहां तक कि अब पिथौरागढ़ जिले में भूमि उपयोग में बदलाव आ रहा है और कृषि क्षेत्र सिमट रहा है।

कुमाऊं विवि भूगोल विभाग की डा. विनीता मेहर ने जनसंख्या प्रवास के आयाम और उनका सामाजिक-आर्थिक एवं भू पर्यावरणीय विश्लेषण: पिथौरागढ़ जिले का एक अध्ययन पर शोध पूरा किया है। हाल ही में उनको राष्ट्रपति की मौजूदगी में आयोजित दीक्षा समारोह में पीएचडी की उपाधि मिली है। विनीता ने विभाग के प्रो. आरसी जोशी, प्रो. डीसी पाण्डे व प्रो. मंजूला चंद के निर्देशन में यह शोध किया। शोध के अनुसार पिथौरागढ़ के धारचूला, मुनस्यारी, बिण व गंगोलीहाट ब्लाक के 28 गांवों का 2017 से 2021 तक अध्ययन किया गया, पलायन आयोग की रिपोर्ट की भी फील्ड स्टडी की गई।

शोध के अनुसार इन गांवों में पिछलो दो तीन दशकों से हो रहा स्थायी पलायन अब कम हो गया है जबकि शिक्षा, रोजगार व बेहतर जीवन के लिए अस्थायी पलायन हो रहा है लेकिन लोग अपने गांव से जुड़े हैं। विकास योजनाओं से यह संभव हुआ है।

जलवायु परिवर्तन से आई खेती में कमी

नैनीताल: शोध के अनुसार जलवायु परिवर्तन के बढ़ते प्रभाव, जंगली आनवरी के आतंक से पारंपरिक कृषि सिमट रही है जबकि उच्च हिमालयी क्षेत्र के गांव क्वीरी जिमिया, छलमा छीयास गांव में बादल फटने व भूस्खलन से पर्यावरणीय प्रभाव पड़ा है। अब इन गांवों को अन्यत्र पुर्नस्थापित किया गया है। पिथौरागढ़ जिले में भूमि उपयोग परिवर्तन में भी बदलाव आया है।

सेटलाइट डेटा से मिली आंकड़ों के विश्लेषण से निष्कर्ष निकला कि धारचूला मुनस्यारी में पर्यटन में उत्साहजनक वृद्धि हो रही है, स्थानीय उत्पादों को बाजार मिल रहा है, अलबत्ता कृषि का दायरा सिमट रहा है। लोहाघाट निवासी डा. विनीता ने इस उपलब्धि का श्रेय शोध निर्देशकों के साथ ही माता-पिता, पति मेजर अमित देव, ससुर नरेश सिंह देव व अन्य स्वजनों को दिया है।

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here