बदरीनाथ: शीतकाल में धाम में लगाएंगे ध्यान, करेंगे साधना.. प्रवास के लिए 20 लोगों ने किया आवेदन

चमोली: चमोली जिले स्थित विश्व प्रसिद्ध बदरीनाथ धाम को सदियों से तप, ध्यान और साधना का एक अत्यंत पवित्र केंद्र माना जाता है। यहां हर वर्ष बड़ी संख्या में साधु-संत कठिन परिस्थितियों के बावजूद गुफाओं और कुटियाओं में रहकर आध्यात्मिक साधना में लीन रहते हैं। कड़ाके की ठंड के बीच भी उनकी तपस्या निर्बाध रूप से जारी रहती है। इस साल भी शीतकाल में धाम में रहने के लिए कुल 20 लोगों ने आवेदन किया है।

बदरीनाथ मंदिर के कपाट बंद होने के बाद आम लोगों का धाम क्षेत्र में प्रवेश पूरी तरह प्रतिबंधित हो जाता है। हनुमान चट्टी से आगे किसी भी व्यक्ति को बिना अनुमति जाने नहीं दिया जाता। शीतकाल के छह महीनों तक पूरा बदरीनाथ क्षेत्र सेना, आईटीबीपी (इंडो-तिब्बतन बॉर्डर पुलिस) और मंदिर समिति के कर्मचारियों की निगरानी में रहता है। अत्यधिक बर्फबारी और कठोर मौसम के कारण यहां विशेष सुरक्षा व्यवस्था बनाई जाती है।

आवेदनों को भेजा गया पुलिस कार्यालय

शीतकाल में जो भी साधु-संत अथवा अन्य व्यक्ति बदरीनाथ धाम में निवास करना चाहते हैं, उन्हें ज्योतिर्मठ तहसील प्रशासन से पूर्व अनुमति लेना अनिवार्य होता है। बीते 25 नवम्बर को बदरीनाथ धाम के कपाट शीतकाल के लिए बंद हो गए हैं। इस साल भी शीतकाल में बदरीनाथ में प्रवास करने के लिए 20 लोगों ने आवेदन किया है। इन आवेदकों में अधिकांश साधु-संत शामिल हैं, जिन्होंने बदरीनाथ धाम की कठोर जलवायु में तप और साधना करने के लिए अनुमति मांगी है। इन 20 आवेदनों को जांच के लिए पुलिस कार्यालय को भेज दिया गया है।
ज्योतिर्मठ के उपजिलाधिकारी चंद्रशेखर वशिष्ठ ने बताया कि आवेदकों के दस्तावेजों की जांच और व्यक्तिगत सत्यापन के बाद ही उन्हें धाम में रहने की अनुमति प्रदान की जाएगी। उन्होंने बताया कि पिछले साल भी लगभग इतने ही लोगों ने शीतकाल में धाम में निवास की अनुमति ली थी।

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here