रुद्रप्रयाग: उत्तराखंड चारधाम यात्रा के लिए हर वर्ष देश-विदेश से लाखों श्रद्धालु आते हैं। चारधाम यात्रा का धार्मिक महत्व होने के साथ-साथ प्रदेश की अर्थव्यवस्था में भी इसका बड़ा योगदान है। लेकिन पिछले कुछ वर्षों से धाम में श्रद्धालुओं की तुलना में सोशल मीडिया इन्फ्लुएंसर्स की भीड़ अधिक देखने को मिल रही है। ये लोग केवल अपने वीडियो में व्यूज बढ़ाने के लिए यहां आते हैं। इन्हीं में से कई इन्फ्लुएंसर ऐसे हैं जो धामों को बदनाम करने का भी काम करते हैं.
बदरी केदार मंदिर समिति के अधिकारियों के अनुसार, पिछले कुछ वर्षों में चारधाम में यूट्यूब, ब्लॉगर और सोशल मीडिया इन्फ्लुएंसर्स की संख्या में तेजी से वृद्धि हुई है। इस साल केदारनाथ कपाट खुलने के समय एक तस्वीर वायरल हुई. वायरल तस्वीर में देखा गया कि कपाट खोलने के समय केवल एक प्रतिशत लोग हाथ जोड़कर खड़े थे, जबकि, 99 प्रतिशत लोग इस पल को अपने सोशल मीडिया के माध्यम से टीआरपी के लिए बेच रहे थे। BKTC के उपाध्यक्ष ऋषि प्रसाद सती ने बताया कि सोशल मीडिया पर कई लोग हैं जो केदारनाथ धाम और बदरीनाथ धाम में ऑनलाइन पूजा की सुविधा उपलब्ध कराने का दावा करते हैं। उन्होंने बताया कि यह खबर पूरी तरह से भ्रामक है। केदारनाथ-बदरीनाथ धाम में हमारे तमाम सनातनी धार्मिक अनुष्ठान संस्कार होते हैं, जो कि ऑनलाइन इन फर्जी माध्यमों से संभव नहीं है. समिति ने इन सभी भ्रामक और फ्रॉड गतिविधियां करने वालों के खिलाफ पुलिस में शिकायत दर्ज की है।
बदरीनाथ मंदिर के नाम पर मांगा जा रहा चंदा
इसके अलावा, शिव धाम फाउंडेशन के नाम के एक फेसबुक अकाउंट पर एक वीडियो है, जिसमें किसी अन्य मंदिर को बदरीनाथ मंदिर बताकर जीर्णशीर्ण होने की बात की जा रही है। इस वीडियो में बदरीनाथ धाम को सुधारने के लिए डोनेशन मांगा जा रहा है, जबकि वीडियो में जो मंदिर दिखाया गया है, वह बिल्कुल भी बदरीनाथ धाम नहीं है। वास्तव में, यह दूर-दूर तक बदरीनाथ धाम जैसा भी नहीं दिखता। इसके बावजूद, शिव धाम फाउंडेशन किसी टूटे हुए मंदिर को बदरीनाथ धाम के रूप में दिखाकर चंदा मांगने की अपील कर रहा है। BKTC का कहना है शिव धाम फाउंडेशन को यह स्पष्ट करना चाहिए कि यह मंदिर कौन सा है? इसे बदरीनाथ धाम के नाम पर प्रचारित नहीं किया जाना चाहिए। यदि फाउंडेशन इस पर जल्द कार्रवाई नहीं करता है, तो उनके खिलाफ वैधानिक कार्रवाई की जाएगी।
भ्रामक विज्ञापनों से सावधान रहें श्रदालू
बदरी केदार मंदिर समिति ने श्रद्धालुओं से अनुरोध किया है कि वे इस प्रकार के किसी भी नकली सोशल मीडिया विज्ञापनों पर विश्वास न करें। इन धामों की गरिमा को बनाए रखने में अपनी जिम्मेदारी निभाएं। केदारनाथ और बदरीनाथ धाम केवल देश के लिए नहीं, बल्कि विश्व के लिए सनातन धर्म का केंद्र हैं। सोशल मीडिया पर केदारनाथ-बदरीनाथ धाम को बदनाम करने वाली ख़बरों से सनातन धर्म की छवि को नुकसान पहुंचता है। श्रद्धालुओं से अनुरोध किया गया है कि ऐसे कार्य न करें जिससे धाम की बदनामी हो या श्रद्धालुओं की आस्था को ठेस पहुंचे। मंदिर प्रबंधन सुरक्षा के दृष्टिकोण से ऐसे व्यक्तियों पर नियंत्रण रखेगा। मंदिर समिति भी नहीं चाहती कि किसी भी श्रद्धालु की श्रद्धा में कमी आए और उनके मन का भाव खराब हो।