राज्य में लंबे समय से स्टिल्ट पार्किंग की ऊंचाई बढ़ाने की मांग की जा रही थी, इसके दृष्टिगत स्टिल्ट पार्किंग की अधिकतम ऊंचाई 2.4 मीटर से बढ़ाकर 2.6 मीटर करने का फैसला लिया गया है।
पर्वतीय क्षेत्रों में, यदि स्टिल्ट पार्किंग सड़क के बराबर स्तर तक बनाई जाती है, तो ऐसी स्टिल्ट पार्किंग को फ्लोर एरिया रेशियो और भवन की ऊंचाई में शामिल नहीं किया जाएगा इससे बड़ी संख्या में भवन बनाने वालों को राहत मिलेगी।ऊर्जा प्रदेश उत्तराखंड ने पर्यावरण काे बचाने के लिए ग्रीन बिल्डिंग माडल की ओर कदम बढ़ा दिए हैं। केंद्र सरकार की मंशा के तहत राज्य सरकार ने भवन निर्माण एवं विकास उपविधि विनियम-2011में बदलाव कर दिया है।
ग्रीन बिल्डिंग निर्माण के लिए भारतीय ग्रीन बिल्डिंग परिषद, भारतीय ऊर्जा एवं संसाधन संस्थान द्वारा विकसित राष्ट्रीय ग्रीन बिल्डिंग मूल्यांकन मानक, ऊर्जा संरक्षण एवं सतत् भवन संहिता व आवासीय भवनों के लिए इको निवास संहिता का पालन करना अनिवार्य होगा, ताकि नए निर्माण ऊर्जा दक्षता व पर्यावरणीय स्थिरता के मानकों पर खरे उतर सकें।
ग्रीन बिल्डिंग निर्माण पर अतिरिक्त फ्लोर एरिया रेशियो का प्रविधान किया गया है। इसे रेटिंग सिस्टम से जोड़ा गया है। उपभोग किए गए एफएआर के अनुसार पार्किंग उपलब्ध कराना जरूरी होगा।
पर्यटन व रिसार्ट में राहत
नई श्रेणी में मैदानी व पहाड़ी क्षेत्रों में रिसार्ट विकास के लिए भूखंड के न्यूनतम आकार और पहुंच मार्ग की शर्तों को सरल किया गया है, 4000 वर्ग मीटर तक के भूखंडों पर यदि पहुंचमार्ग 15 मीटर या उससे अधिक चौड़ा है, तो होटल की ऊंचाई पर अब कोई प्रतिबंध नहीं रहेगा।
अब हास्टल को पर्यटन में शामिल नहीं किया जाएगा। हास्टल के लिए पार्किंग मानकों को भी बदल दिया गया है। हास्टल को पार्किंग नियमों में 25 प्रतिशत की छूट दी गई है।
ग्रीन बिल्डिंग निर्माण पर रेटिंग
मैदानी क्षेत्र
प्लेटिनम- 4-5 स्टार: 5 प्रतिशत अतिरिक्त एफएआर
गोल्ड- 3 स्टार : 3 प्रतिशत अतिरिक्त एफएआर
सिल्वर- 1-2 स्टार : 2 प्रतिशत अतिरिक्त एफएआर
पहाड़ी क्षेत्र
सिल्वर- 1-2 स्टार : 2 प्रतिशत अतिरिक्त एफएआर
प्लेटिनम- 4-5 स्टार : 3 प्रतिशत अतिरिक्त एफएआर
गोल्ड- 3 स्टार : 2 प्रतिशत अतिरिक्त एफएआर