कवी, उपन्यासकार,विद्याविद् एवं कप्तान कुणाल नारायण उनियाल हमारे अपने उत्तराखंड के सपूत हैं I देहरादून के एक छोटे से गांव नवादा में जन्मे कुणाल का ताल्लुक गढ़वाल के टिहरी जिले से हैं I शुरुवाती शिक्षा देहरादून के St Thomas School से प्राप्त करने के उपरांत कुणाल का चयन मात्रा 17 वर्ष की आयु में मर्चेंट नेवी में हो गया था और उसके उपरांत वो लम्बी समुद्री यात्राएँ पर निकल गए I हालाँकि उनके अंदर का लेखक हमेशा हिलोरे मरता रहा और कुछ ही वर्षो में वो कप्तान से कवी बन गए
कप्तान कुणाल, प्रतिष्ठित कर्डिफ़ विश्वविद्यालय, लंदन से स्नातकोत्तर एक अनुभवी मास्टर मरिनर है I 2014 में ही उनकी पहली कविता संग्रह “कुछ ख्वाब सागर से” आई। उन्होंने अपनी पुस्तक के लिए राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय सम्मान प्राप्त जिसमें उन्हें फ्रांस में हाउस ऑफ लाइफ और लंदन के नॉटिकल इंस्टट्यूट द्वारा सम्मानित किया जाना शामिल है। इसके बाद उनकी गद्य कविता “Unanswered” शीर्षक से जारी की गई, जिसे 2015 में अंतर्राष्ट्रीय फिल्म और साहित्य उत्सव में रिलीज़ किया गया। उन्हें इस काम के लिए 2016 में सीफेयर चॉइस अवार्ड से सम्मानित किया गया। उनकी अगली दो कविता संग्रहों “मैं तुला हूँ ” और “Sparrow in the Mirror” को भी व्यापक प्रशंसा और सराहना मिली है। इसमें ब्रिटैन की महारानी एलिज़ाबेथ और लंदन के मेयर का प्रशंसा पत्र भी शामिल है I कुणाल के कविता संग्रह को बिताएं की प्रतिष्ठित ब्रिटिश लाइब्रेरी में स्थान मिला I उनकी रचनाओं का कई भाषाओं में अनुवाद किया गया है जिसमें फ्रेंच, इतालवी, स्पेनिश, पुर्तगाली, डच और उर्दू शामिल हैं। 2018 में उनका पहला अंग्रेजी उपन्यास “Journey to the Next Level” प्रकाशित हुआ जिसको काफी प्रशंसा प्राप्त हुई. उसके उपरांत इसी उपन्यास का दूसरा एडिशन 2019 में प्रकाशित हुआ. Journey to the Next Level का दो विदेशी भाषाओं (इतालियन और पोर्तुगी) में भी अनुवाद हो चूका है I यही पुस्तक अब हिंदी में ” तीसरी दुनिया के रहस्य ” के नाम से हिंदी साहित्य सदन द्वारा प्रकाशित हुई है I अब तक उनकी विभिन्न भाषाओं में 12 पुस्तकें प्रकाशित हो चुकी हैं।
लेखन के अलावा, कुणाल एक थिएटर उत्साही हैं और उन्होंने लघु फिल्मों की पटकथा भी लिखी है। उनकी लघु फिल्म “माया” को कई फिल्म समारोहों में प्रदर्शित किया गया है ।वर्तमान में, वह मुख्य कार्यकारी अधिकारी की क्षमता में एक अंतर्राष्ट्रीय समुद्री अकादमी के साथ काम कर रहे हैं।
कुणाल मुख्याकर अध्यात्म, हिन्दू साहित्य, वेद और Aurobindo philosophy पर लिखते हैं और उनका एक मात्रा उद्देश्य अपने प्रदेश एवं देश की संस्कृति का प्रचार प्रसार पूरी दुनिया में करना है I यही वजह है उन्होने लंदन जैसी जगह का मोह छोड़ अपने उत्तराखंड प्रदेश में ही अपना घर बसाया और अभी यहीं के युवाओं को प्रेरित कर नए रोज़गार के अवसर प्रदान कर रहे हैं I