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Friday, November 22, 2024

नेशनल हैण्डलूम एक्सपो मेले में मृगनयनी एक प्रमुख आउटलेट

देहरादून के रेस कोर्स प्ले ग्राउंड में नेशनल हैण्डलूम एक्सपो मेला लगा हुआ है ।जहां पर आए दिन लोगों की काफी भीड़ देखने को मिल रही है | ।मृगनयनी , एम्पोरियम  उत्पादों की एक विस्तृत श्रृंखला को प्रदर्शित करने और बेचने के लिए एक अद्वितीय विपणन आउटलेट है । जिसमें चंदेरी साड़ी, चंदेरी प्रिंटेड साड़ी, माहेश्वरी साड़ी, माहेश्वरी प्रिंटेड साड़ी, कॉटन साड़ी बाग और दाबू प्रिंट, तसर सिल्क साड़ी, मालूरी सिल्क साड़ी, चंदेरी सूट, माहेश्वरी सूट, कॉटन सूट बाग बाटिक और डब्बू प्रिंट, डबल और सिंगल बेडशीट। ये सभी प्राकृतिक वेजिटेबल डाई रंगों से रंगे जाते हैं।बुनकरों, शिल्पकारों और कारीगरों  द्वारा निर्मित उत्पादों के माध्यम से मध्य प्रदेश की महिमा को दर्शाते हैं।मृगनयनी, मध्य प्रदेश की जादुई भूमि पर बनने वाले मनमोहक कला और हस्तशिल्प के पारंपरिक तथा आधुनिक खजाने का एक त्रुटिरहित मिश्रण है। यह प्राचीन काल की परम्पराओं को हस्तशिल्प और हथकरघा में जीवंत बनाने की एक यात्रा है जिसमें रंग भरे जीवन का त्यौहार दर्शाया जाता है। इनके द्वारा बनाई गयी वस्तुए है -चंदेरी विविध प्रकार के बुनकरों द्वारा करघे पर बुनी गई सुंदरता कहीं जा सकती है जो लोगों का मन मोह लेती है,टसर / कोसा की दो विशिष्ट पहचान समय से परे इनकी भव्यता और भव्य सुंदरता है,मध्य प्रदेश की रानी अहिल्या बाई होलकर द्वारा संकल्पित और डिजाइन की गई महेश्वरी साड़ियां शाही भव्यता को आज भी जीवंत बना देती हैं,क्रेप साड़ी अविश्वसनीय रूप से नरम, हल्के और आसानी से प्रबंधित होने वाले जातीय वस्त्र हैं जो मुख्य रूप से रेशम से प्राप्त होते हैं,वस्त्रोद्योग की कुछ प्रसिद्ध किस्में टाइ और डाइ, हैंड ब्लाॅक प्रिंटिंग तथा मलबरी  सिल्क साड़ी अपने विस्तृत पैटर्न और सीमा के लिए जानी जाती है,हैंड ब्लॉक प्रिंटिंग में एक जटिल लेकिन दिलचस्प प्रक्रिया शामिल है।रंगों का जीवंत विस्फोट और डिजाइन में रचनात्मक पैटर्न, बाटिक को वास्तव में असाधारण बनाता है।

उद्योग निदेशक सुधीर चंद्र नौटियाल कै सी चमोली शैली डबराल एमएस नेगी गिरीश चंद कुंवर बिष्ट एस पी खंडूरी प्रदीप नेगी आदि उपस्थित है । तो वहीं मेले में मेला संचालक केसी चमोली द्वारा सभी स्टालों में पहाड़ी टोपी वितरित की गई टोपी वितरण करने का मुख्य उद्देश्य अपने राज्य को बढ़ावा देना है और उन्होंने कहा कि यदि सभी पहाड़ी टोपी लगा कर मेले में आएंगे तो इससे टोपी बिक्री भी अधिक होगी और इसमें ज्यादा उत्पाद मिलेगा ।

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