
उत्तराखंड के पर्वतीय क्षेत्रों के जंगलों में बांज के पेड़ बहुत अधिक मात्रा में पाए जाते हैं इनसे वातावरण बहुत ही स्वच्छ रहता है और इससे ठंडी और शुद्ध हवा का संचार भी होता है आपको बता दें कि बांज के पेड़ के जड़ों से ठंडा और शुद्ध पानी भी प्राप्त होता है। यह पेड़ यदि पानी के स्रोत के ऊपर रहते हैं तो वहां पर पानी भी बहुत ठंडा पाया जाता है बांज के पेड़ शुद्ध हवा तो देते हैं ,साथ ही पालतू जानवरों के लिए चारा पति के काम भी आता है।
पहाड़ी क्षेत्रों में बांज के पत्तों को गाय ,डंगरो के लिएखाने के लिए लाई जाती है पहाड़ी क्षेत्रों में महिलाएं बांज के पेड़ों पर चढ़कर इसकी पत्तियों को चारा के लिए लाती है बांस की लकड़ी से कई प्रकार के सामान बनाए जाते हैं जैसे कि कुदाल का बिन्टा,हल , गिज्याली आदि कई प्रकार के उपयोग में लाये जाने वाले सामान बनाए जाते हैं । बांज (ओक ) की मध्य हिमालय क्षेत्र में कई प्रजातियां पाई जाती है ।बता दें कि इसकी लकड़ी मजबूत और सख्त होती है इस पर फफूंदी और कीटों का असर नहीं होता है ना ही इसके जल उठते हैं और ना ही लकड़ी फूलती है इसकी लकड़ी से पढ़ती नहीं है। लकड़ी बहुत ही मजबूत होती है ।