देहरादून। उत्तराखंड प्रदेश कांग्रेस कमेटी के प्रदेश प्रवक्ता शीशपाल सिंह बिष्ट ने बयान जारी करते हुए कहा कि हिंदुत्व की बात करने वाली व हिंदुत्व के नाम पर सत्ता की सीढ़ियां चढ़ने वाली भाजपा सरकार हिंदुत्व के मूल संस्कृत महाविद्यालयों को बंद करना चाहती हैं 16 तारीख को प्रदेश के संस्कृत शिक्षा सचिव ने निदेशक संस्कृत शिक्षा को तुगलकी फरमान जारी किया है। जिसके अनुसार अब प्रदेश के संस्कृत महाविद्यालय अपने को महाविद्यालय नहीं लिख पाएंगे न ही अपने यहां स्नातक के कोर्स करवा पाएंगे। अब ये विद्यालय केवल उत्तर मध्यमा और पूर्व मध्यमा के ही कोर्स संचालित कर सकेंगे यही नहीं इन विद्यालयों से संस्कृत महाविद्यालयों के बोर्ड भी बदलने को कहा गया है।
शीशपाल सिंह बिष्ट ने कहा कि ये संस्कृत महाविद्यालय भाजपा सरकार के रहमो करम पर नहीं चल रहे हैं इनमें से कुछ विद्यालय आजादी से पहले और कुछ विद्यालय आजादी के बाद से लगातार संचालित होते हुए आयें हैं, यहॉ पर इन विद्यालयों में सरकार के सभी दिशा निर्देशों का पालन होता है इनको मान्यता भी सरकार के नियमों के अनुसार मिली है, यहॉ पर शिक्षकों की नियुक्तियां भी सरकारी नियमों व सरकारी मशीनरी की देखरेख में होते हैं, यहॉ पर जो भी पाठ्यक्रम चलता है वह भी सरकार से अनुमोदित है, फिर भी बीच सत्र में ये तुगलकी फरमान क्यों जारी किया गया है समझ से परे हैं।
शीशपाल सिंह बिष्ट ने कहा कि इन विद्यालयों में सरकार ने चार बार पैनल बनाकर निरीक्षण करवाया कि यह संस्कृत महाविद्यालय यूजीसी के मानक पूरे करते हैं के नही पैनल निरीक्षण में यह महाविद्यालय यूजीसी के मानकों पर पूरे पाए गए, फिर भी अब सरकार को इनसे परेशानी क्यों हैं। यहॉ पर जो शिक्षक शिक्षण का कार्य कर रहे हैं उनका क्या होगा। जो शिक्षक स्नातक के छात्रों को पढा रहा है उसका स्तर अचानक से हाई स्कूल और इंटर के स्तर का हो जाएगा, और जो छात्र शास्त्री और अचार्य की पढाई कर रहे हैं उनका क्या होगा, सरकार ने एक बार भी नही सोचा। इस तुगलकी फरमान का संस्कृत महाविद्यालय शिक्षक संघ व प्रबन्ध तंत्र लगातार विरोध कर रहा है।
शीशपाल सिंह बिष्ट ने कहा कि संस्कृत महाविद्यालयों को कहा गया है कि अगर वो अपने विद्यालयों में शास्त्री और आचार्य के कोर्स करवाएगें तो उनका अनुदान बंद कर दिया जाएगा, इसका सीधा सीधा मतलब है कि सरकार संस्कृत महाविद्यालयों के साथ भेद भाव कर रही है और संस्कृत महाविद्यालयों के प्रबन्धन को डराना चाहती हैं जिसका कांग्रेस पार्टी विरोध करेगी हम सरकार से मांग करते हैं तत्काल यह तुगलकी फरमान वापस लिया जाए और संस्कृत महाविद्यालयों के प्रतिनिधियों से वार्ता कर उनकी समस्याओं का समाधान किया जाए और संस्कृत महाविद्यालयों सहायता देकर इनके विकास में आ रही कठिनाईयों को दूर किया जाए तभी जाकर यहॉ पढ रहे छात्र निर्भीक होकर अपने कोर्स पूरे कर सकेंगे और संस्कृत महाविद्यालय के शिक्षक भी मनोयोग से छात्रों को शिक्षित कर सकेगें।