जोशीमठ,, चमोली: जहां एक तरफ पूरा देश तरक्की कर रहा है और इंसान चांद पर पहुंच चुका है। लेकिन आज भी इस टेक्निकल युग में दूरस्थ गांव के ग्रामीण मीलों -मीलों पैदल चलने के लिए मजबूर है, जहां देश को आजाद हुए 73 साल बीतने को आ गए और आज भी चमोली जिले के कई गांव ऐसे हैं जहां सड़क तो छोड़िए पैदल जाने का रास्ता भी ठीक से नहीं बना हुआ है। जहां के लोग मीलों -मीलों पैदल सफर करते हैं, और जब अपने कोई भी बीमार होते हैं तो उस वक्त उस बीमार व्यक्ति को दंडी कंडी के सहारे उपचार के लिए लाते हैं, चाहे बरसात हो या फिर चाहे बर्फबारी हो ,लेकिन अपने बीमार व्यक्ति को मीलों -मीलों पैदल चलकर स्वास्थ्य समुदायिक केंद्र तक पहुंचाते हैं। कई बार तो बीमार व्यक्ति को लाते लाते बीमार व्यक्ति रास्ते में ही दम तोड़ देता है।
कई परेशानियों से जूझना पड़ता है, दूरदराज के ग्रामीणों को, कई गांव तो आज भी ऐसे हैं जहां पर ना नहीं स्वास्थ्य की व्यवस्था है और ना ही इंटरनेट जैसी सुविधा ,, आखिरकार कब दूर होगी दूरस्थ गांव के ग्रामीणों की समस्या। जो गांव आज भी अपनी मूलभूत समस्याओं से जूझ रहे हैं। बता दे कि डुमक और कल गोट, गणाई गांव, पेंग. मौरण्डा. लाँजी गांव, पेंका. सु की, भला गांव, और चोरमी. गांव आज भी सड़क के लिए रोना रो रहे हैं, इन गांव की आज भी समस्या जस की तस पड़ी हुई है। जबकि उत्तराखंड राज्य बने 20 साल से अधिक का समय बीत चुका है. और इन 20 सालों में दो राष्ट्रीय पार्टियों ने जीत हासिल की थी, लेकिन ये गांव आज भी स्वास्थ शिक्षा और सड़क से कोसों दूर है, यह गांव आज भी समस्याओं से जूझ रहा है।
रिपोर्ट:नवीन भंडारी,जोशीमठ / चमोली