सीमांत घाटी का एक ऐसा दूरस्थ गांव माना जाता है जिस गांव का नाम भला गांव है जो भला गांव सुराहीथोटा गांव के अंतर्गत आता है। आपको बता दें कि भला गांव जाने के लिए वाहनों से नहीं बल्कि कई किलोमीटर खड़ी चढ़ाई पार करनी होती है, कहने को यह गांव काफी छोटी आबादी वाला गांव माना जाता है। लेकिन बड़ी बात तो यह है कि इस गांव में एक बाल आंगनबाड़ी केंद्र भी मौजूद है जिस बाल आंगनबाड़ी केंद्र में मात्र चार या पांच बच्चे हर दिन पढ़ने के लिए आते हैं। बता दें कि जो बच्चे यहां पर हर दिन पढ़ने के लिए आते हैं । उन्हें इस बाल आंगनबाड़ी केंद्र में सभी प्रकार की सुविधाएं बाल आंगनबाड़ी की तरफ से मोहिया करवा दी जाती है। जिस कारण यहां पर पड़ने वाले सभी छोटे नन्हे मुन्ने बच्चे बाल आंगनबाड़ी की सभी प्रकार की सुविधाओं का लाभ लेते हैं।
इसी बाल आंगनबाड़ी की कार्यकत्री मीनाक्षी उपाध्याय का कहना है। कि उन्हें इस बाल आंगनबाड़ी केंद्र में 17 साल हो चुके हैं और इन 17 सालों के भीतर उन्होंने सरकार के द्वारा दिए गए पोस्टिक आहार गर्भवती महिलाओं के लिए एवं छोटे नन्हे मुन्ने बच्चों के लिए जो भी आता है उसे वह समय-समय पर वितरण किया करती है। कहा कि आजकल इस बाल आंगनवाड़ी केंद्र में बस गिने-चुने बच्चे पढ़ने के लिए आते हैं। जिनको मैं समय सारणी के हिसाब से छोटे नन्हे मुन्ने बच्चों को उनका पोस्टिक आहार दीया करती हूं, बता दें की जब भी बाल आंगनवाड़ी केंद्र में सरकार के द्वारा गर्भवती महिलाओं के लिए उनके पोस्टिक आहार भेजा जाता है। उस पोस्टिक आहार को तुरंत मीनाक्षी उपाध्याय वितरण कर देती है। जिस कारण भला गांव गांव के ग्रामीणों में इस वक्त काफी खुशी का माहौल बना हुआ है। सभी ग्रामीणों ने बाल आंगनवाड़ी केंद्र के कार्यकत्री मीनाक्षी देवी का धन्यवाद किया है।