मुख्यमंत्री मुख्यमंत्री ने कहा की आज हमने एक बड़ी उपलब्धि हासिल कर ली है, उत्तराखण्ड राज्य, पूर्ण रूप से पात्र लाभार्थियों को कोविड-19 वैक्सीन की प्रथम डोज लगाये जाने वाला राज्य बन गया है। मुख्यमंत्री ने कहा की सभी प्रदेशवासियों इसके लिये बधाई के पात्र हैं। नियत समय से पहले ही इस लक्ष्य को पूरा कर लिया गया है। इसमें स्वास्थ्य, पुलिस विभागों सहित अन्य विभागों के कार्मिकों, विभिन्न सामाजिक व धार्मिक संस्थाओं, मीडिया, और सभी प्रदेशवासियों का महत्वपूर्ण योगदान रहा हैं।
इस अवसर पर मुख्यमंत्री ने पहली डोज लेने वाले लोगों से दूसरी डोज भी समय पर लेने की अपील की। उन्होंने कहा कि जैसे ही 18 वर्ष से कम आयु वालों के लिए वैक्सीनैशन की अनुमति मिलेगी, राज्य सरकार इनका वैक्सीनैशन भी जल्द करवाने का प्रयास करेगी।
मुख्यमंत्री ने कहा कि प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी के नेतृत्व में पूरी दुनिया में भारत का मान सम्मान बढा है।शक्तिशाली, गौरवशाली भारत के रूप मे देश आगे बढ रहा है। अंतिम छोर पर खङे व्यक्ति तक शासन प्रशासन पहुंचे और विकास का लाभ मिले, इस पर काम किया जा रहा है।
कार्यक्रम में कैबिनेट मंत्री डॉ० धन सिंह रावत ने प्रसिद्ध जागर गायक पद्मश्री प्रीतम भरतवाण को बधाई देते हुए कहा की लोक संस्कृति को संरक्षित करने का उनका यह प्रयास सराहनीय है।
इस अवसर पर कैबिनेट मंत्री श्री सुबोध उनियाल, प्रसिद्ध जागर गायक पद्मश्री प्रीतम भरतवाण, चार धाम अस्पताल के एम०डी० डॉ० केपी जोशी, श्री शेर दास विद्वान, श्री संजय कुमोला, श्री गजेंद्र नौटियाल, श्री प्रेम सिंह पयाल आदि गणमान्य उपस्थित थे।
मुख्यमंत्री श्री पुष्कर सिंह धामी ने रविवार को नालापानी चौक में प्रीतम भरतवाण जागर ढोल सागर इंटर नेशनल अकादमी का शुभारंभ किया।
मुख्यमंत्री ने इस अवसर पर अकादमी को 10 लाख रुपए की आर्थिक सहायता देने की भी घोषणा की ताकि इस अकादमी के माध्यम से हमारी संस्कृति को संरक्षित करने हेतु प्रयास सफल हो सके। मुख्यमंत्री ने इस अवसर पर लोक कलाकारों को सम्मानित भी किया।
इस अवसर पर मुख्यमंत्री ने कहा की लोक संस्कृति हमारी पहचान है, हमें नहीं भूलना चाहिए की हमारी जड़े कहाँ है। जड़े कट जाए तो हरा भरा पेड़ भी धीरे धीरे सुख जाता है। जड़ सुरक्षित रहेगी तो पेड़ भी सुरक्षित रहेगा, इसी तरह हमारी संस्कृति सुरक्षित रहेगी तो हम भी सुरक्षित रहेंगे। मुख्यमंत्री ने कहा कि अपनी संस्कृति को संरक्षित रखने हेतु हम सबको अपने अपने स्तर से प्रयास करना होगा। इस क्षेत्र में पद्मश्री प्रीतम भरतवाण का यह प्रयास निश्चित रूप से सराहनीय है।