कांग्रेस आलाकमान के फैसले के आगे पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत ने भी समर्पण कर दिया। भाजपा से निकाले गए डॉ. हरक सिंह रावत भी जिद के पक्के निकले और वह कांग्रेस के दरवाजे से तब तक नहीं हटे जब तक कांग्रेस आलाकमान ने उनके लिए दरवाजा नहीं खोल दिया। हरीश रावत खेमे ने हरक सिंह रावत को कांग्रेस में आने से रोकने के लिए एडी चोटी का जोर लगा दिया था। उत्तराखंड कांग्रेस में पूर्व कैबिनेट मंत्री डॉ. हरक सिंह रावत की वापसी के साथ ही यह कहावत एक बार फिर चरितार्थ हुई है कि राजनीति में न तो कोई स्थायी मित्र है न शत्रु। पांच राज्यों में हो रहे विधानसभा चुनाव में कांग्रेस उत्तराखंड की ओर बेहद उम्मीदों से देख रही है। जीत की उम्मीद में वह उस अपमान के घूंट को भी पी गई, जिसका विलाप वह पिछले पांच साल से करती आ रही थी