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Friday, November 22, 2024

डीडीएलएफ की काव्य संध्या ख्यालकारी ने देहरादून के काव्य प्रेमियों को किया मंत्रमुग्ध

देहरादून। साहित्य और कला के लिए प्रसिद्ध देहरादून लिटरेचर फेस्टिवल ने एमजे रेजीडेंसी में अपने डीडीएलएफ अनप्लग्ड बैनर के तहत कविता की एक शाम मनाई। ख्यालकारी-सौम्या के साथ बैठक शीर्षक से यह गहन काव्य कार्यक्रम उपस्थित लोगों को एक साहित्यिक यात्रा पर ले गया, जिसमें अतीत और वर्तमान दोनों के श्रद्धेय कवियों के मंत्रमुग्ध छंद शामिल थे।
कार्यक्रम की शुरुआत वकील और कवि अतुल पुंडीर की कविता प्रस्तुति से हुई। इस अवसर के दौरान, पुंडीर ने दिल टूटने से लेकर मानवीय इच्छाओं तक कई विषयों पर आधारित अपनी रचनाओं से दर्शकों को मंत्रमुग्ध कर दिया। दर्शकों को संबोधित करते हुए, पुंडीर ने कहा, ष्जब कोई व्यक्ति कोई कविता लिखता है, तो एक कवि का सबसे बड़ा सपना यह होता है कि उसके शब्द धुन में बदल जाएं या गीत का रूप ले लें। मेरे लिए ये बेहद ख़ुशी की बात है की आज मेरा बेटा सिद्धांत मेरे साथ यहाँ प्रस्तुति दे रहा है। एक भावुक क्षण में, उन्होंने अपनी खुद की एक रचना साझा करी जो उन्होंने अपने बेटे के लिए लिखी थी, ष्मांगू मैं ये दुआ, मेरी उमर तुझे लग जाए, हो पूरी तेरी हर ख्वाहिश, जो चाहे वही तू पाएष्।
इसके बाद कार्यक्रम की मेजबानी विशिष्ट कवयित्री सौम्या कुलश्रेष्ठ ने दुनिया भर के कई कवियों की कविताओं के साथ करी। उनके साथ संगीतकार हरीश बुधवानी ने गिटार पर संगत की। उन्होंने अपने सत्र की शुरुआत प्रसिद्ध कवयित्री अमृता प्रीतम की कविताओं से की, और साथ ही अमृता की आत्मकथा रसीदी टिकट के बारे में भी बात की। उन्होंने अमृता प्रीतम की मशहूर पंजाबी कविता श्मैं तेनु फिर मिलंगीश् भी सुनाई। इसके आलावा कार्यक्रम के दौरान, उन्होंने जौन एलिया, अहमद फराज, हुसैन बरुही, मुनीर नियाजी और सागर खय्यामी सहित कई अन्य प्रख्यात कवियों की कविताएँ भी सुनाईं।
अपनी भावनाओं को साझा करते हुए, सौम्या ने कहा, ष्दुनिया भर के प्रसिद्ध और समकालीन कवियों की कविताओं को संकलित करना और सुनाना मेरे लिए एक विशेषाधिकार अनुभव रहा। यहाँ बैठे सभी दर्शकों को इन काव्यात्मक अभिव्यक्तियों के साथ इतनी गहराई से जुड़ते हुए देखकर बहुत खुशी हुई। देहरादून लिटरेचर फेस्टिवल के संस्थापक और निदेशक, समरांत विरमानी ने इस काव्य शाम के लिए अपना उत्साह व्यक्त करते हुए कहा, ष्साहित्य का सार केवल किताबों तक ही सीमित नहीं हैय बल्कि यह जीवित शब्द हैं जो हमारे दिलों को लुभाते हैं। श्ख्यालकारीश् का उद्देश्य कविता की समृद्धि का जश्न मनाते हुए इस सार को जीवन में लाना था, और मैं इसे हमारे जीवंत साहित्यिक समुदाय से मिली सराहना को देखकर बेहद प्रसन्न महसूस कर रहा हूँ। देहरादून लिटरेचर फेस्टिवल एक वार्षिक सांस्कृतिक उत्सव है जो साहित्य, कला और विचारों की विविध दुनिया का जश्न मनाता है। यह प्रसिद्ध लेखकों, कवियों, कलाकारों और बुद्धिजीवियों को दर्शकों के साथ जुड़ने के लिए एक मंच प्रदान करता है, और देहरादून के साहित्य प्रेमियों के दिलों में साहित्य और कला के प्रति प्रेम की भावना जगाता है।

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