भारतीय सैन्य अकादमी में पासिंग आउट परेड के साथ ही आज यानि की शनिवार को भारतीय थल सेना को 319 युवा जांबाजों की टोली मिल गई है । इसके साथ ही मित्र देशों के 68 कैडेट भी पास आउट हुए है । पीपिंग व ओथ सेरेमनी के बाद पासिंग आउट बैच के 387 जेंटलमैन कैटेड बतौर लेफ्टिनेंट देश-विदेश की सेना का अभिन्न अंग बन गए हैं।
68 युवा सैन्य अधिकारी आठ मित्र देशों अफगानिस्तान, भूटान, श्रीलंका, नेपाल, मालद्वीव, म्यांमार, तंजानिया व तुर्किमेनिस्तान की सेना का अभिन्न अंग बने हैं। इसके बाद राजधानी देहरादून स्थित प्रतिष्ठित भारतीय सैन्य अकादमी के नाम देश-विदेश की सेना को 63 हजार 668 युवा सैन्य अधिकारी देने का गौरव प्राप्त हुआ है। इनमें मित्र देशों को मिले 2624 सैन्य अधिकारी भी शामिल हैं।
राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने बतौर निरीक्षण अधिकारी परेड की समीक्षा की और पास आउट हो रहे जेंटलमैन कैडेटों से सलामी ली। उनके साथ में कमांडेंड लेफ्टिनेंट जनरल हरिंद्र सिंह और स्वाॅर्ड ऑफ ऑनर विजेता आनमोल गुरुंग भी उपस्थित रहे। इसके बाद भावी सैन्य अफसरों की भव्य मार्चपास्ट हुई। वहीं समारोह में राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद द्वारा कैडेट्स को अवॉर्ड से सम्मानित भी किया गया ।
वहीं अपने संबोधन में राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने सभी को राष्ट्र की सेवा हेतु खुद को समर्पित करने का आह्वान किया। राष्ट्रपति ने जेंटलमैन कैडेट को उन चुनौतियों के विषय में बताया, जिनका आज हमारा राष्ट्र, क्षेत्रीय और वैश्विक स्तर पर सामना कर रहा है।इस दौरान राष्ट्रपति कोविंद ने सीडीएस बिपिन रावत को भी याद किया ,कहा कि हमारा झंडा दिवंगत सीडीएस जनरल बिपिन रावत जैसे बहादुर पुरुषों के कारण हमेशा ऊंचा रहा है और रहेगा । उन्होंने यहां आईएमए में प्रशिक्षित प्राप्त किया था। आईएमए से पास आउट होने वाले कैडेट ऐसे ही हमेशा भारत के सम्मान की रक्षा करेंगे।
बतादे की कई दिन से परेड को यादगार बनाने की तैयारी की जा रही थी।सीडीएस जनरल रावत को भी राष्ट्रपति कोविंद के साथ परेड में शिरकत करने के लिए आईएमए पहुंचना था, पर नियति को कुछ और ही मंजूर थाऔर इतना बड़ा हादसा हो गया जिसकी किसी ने कल्पना भी नहीं की थी।
वहीं सीडीएस के निधन पर घोषित राजकीय शोक के चलते अकादमी को बीते दिन कमांडेंट परेड (फुल ड्रेस रिहर्सल परेड) को स्थगित करना पड़ा, साथ ही मुख्य पासिंग आउट परेड की पूर्व संध्या पर आयोजित होने वाले दो अन्य कार्यक्रम भी रद्द करने पड़े। वहीं पीओपी को भी सादगी से आयोजित करने का निर्णय लिया गया।