नेहरू वार्ड दिला चाचा के संघर्षों की याद
देहरादून में बसता था चाचा नेहरू का मन
देहरादून। देहरादून के प्रिंस चौक के पास पुरानी जेल है। इसी परिसर में नेहरू वार्ड बना है। यह वार्ड आज भी चाचा के संघर्षों को बताता है। यहीं उन्होंने भारत एक खोज के कई अंश लिखे थे। पूर्व प्रधानमंत्री पंडित जवाहर लाल नेहरू का उत्तराखंड के देहरादून से गहरा नाता था। वह वर्ष 1906 में मसूरी आए थे। स्वतंत्रता आंदोलन के दौरान वह देहरादून की जेल में 4 बार बंद रहे थे। जेल में वर्ष 1932 से 1941 के बीच नेहर 878 दिन कैद रहे। इस दौरान उन्होंने भारत एक खोज के कई अंश लिखे थे। यहां दून की पुरानी जेल में पंडित जवाहर लाल नेहरू चांद की रोशनी में पुस्तक के अंश लिखते थे। यहां नेहरू का स्नानागार, रसोई और पाकशाला आदि मौजूद हैं।यहां वह कमरा भी है, जहां वो सोया करता था। दून का सर्किट हाउस जो वर्तमान में राजभवन है बहुत पसंद था। पंडित नेहरू जब भी देहरादून आते, वे यहीं रुकते थे। यहां नेहरू की मेज, कुर्सी, पलंग, चादर और टेबल क्लाथ भी है।पंडित जवाहर लाल नेहरू मृत्यु से एक दिन पहले यानी 26 मई 1964 को देहरादून आए थे। वह सर्किट हाऊस में रुके थे।यहां से वे परिजनों के साथ सहस्रधारा गए। यहां उन्होंने स्नान किया थो। लोक निर्माण विभाग के गेस्ट हाउस में उन्होंने भोजन और विश्राम किया था। यहां के प्राकृतिक सौंदर्य पर मंत्रमुग्ध थे। यहां के सुंदर पहाड़ उनका मन मोह लेते थे। उन्होंने विजिटर बुक में 160 एकड़ भूभाग में फैले सर्किट हाउस की सुंदरता का उल्लेख भी किया है।पहाड़ों की रानी मसूरी से पूर्व प्रधानमंत्री जवाहर लाल का गहरा नाता था। वह मसूरी की वादियां का आनंद लेने आया करते थे। जवाहर लाल नेहरू पहली बार वर्ष 1906 में पिता के साथ आए थे। वर्ष 1920 में वह परिवार के साथ मसूरी के होटल सेवाय में ठहरे थे। तब अंग्रेज अधिकारियों ने उनसे 24 घंटे के अंदर हो होटल खाली करवा लिया था।इतिहासकार गोपाल भारद्वाज बताते है कि जवाहर लाल नेहरू मई 1920 में पत्नी कमला और पुत्री इंदिरा के साथ मसूरी आए थे। वे होटल सेवाय में ठहरे हुए थे। अफगानिस्तान और ब्रिटिश के बीच राजनैतिक संधि पर बातचीत के लिए डेलीगेट्स भी इसी होटल में ठहरे थे।जब अंग्रेजों को पता चला कि जवाहर लाल नेहरू भी उसी होटल में ठहरे हुए हैं तो वे डरे हुए थे कि कहीं जवाहर लाल नेहरू बातचीत को प्रभावित न कर दें। अंग्रेजों ने नेहरू से एक पत्र पर हस्ताक्षर करने को कहा था। उस पत्र में लिखा था कि नेहरू इस बातचीत में दखलअंदाजी नहीं करेंगे। नेहरू ने ऐसा करने से इन्?कार कर दिया था।