देहरादून, 9 सितंबर, 2021- अपनी तरह की एक अनूठी प्रक्रिया में, एमआईएनडी (मैक्स इंस्टीट्यूट ऑफ न्यूरोसाइंसेज डिपार्टमेंट) मैक्स सुपर स्पेशियलिटी अस्पताल के अत्यधिक कुशल सर्जनों ने सुप्रा ऑर्बिटल अप्रोच का उपयोग करते हुए एक 44 वर्षीय महिला पर एक जटिल ब्रेन सर्जरी को सफलतापूर्वक अंजाम दिया। यह जटिल सर्जरी आंख, कान, नाक में मौजूद छोटेछिद्र या किसी छोटे से छिद्र के जरीए किया जाता है, जिसके माध्यम से ब्रेन में बने ट्यूमर को सुरक्षित रूप से निकाला जाता है, ताकी खोपड़ी और मस्तिष्क के आस-पास के रक्त वाहिकाओं और तंत्रिकाओं कम से कम नुकसान पहुंचें। यह जटिल सर्जरी छोटे कट या बिना कट के अंजाम दिये जाते है, ताकी सर्जरी के बाद उसका कोई भी निशान शरीर पर नहीं रहें। इसके परिणामस्वरूप जो मरीज कभी भी किसी सर्जरी से नहीं गुजरें है, उनके डर में भी कमी आती हैं।
यह सर्जरी ट्यूमर हटाने में सालों के अनुभव रखने वाले डॉक्टरों के द्वारा अंजाम दिया गया है, ताकी कम से कम खतरे में मरीज को जल्द आराम मिल सकें। डप्छक् मैक्स सुपर स्पेशिएलिटी अस्पताल के न्यूरोसर्जनो की टीम (डॉएकेसिंह, डॉएचसीपाठक, डॉ कुञ्ज बिहारी सारस्वत) छोटे से ऑपरेशन के जरीए मस्तिष्क से ट्यूमर निकालने के मामले में दुनिया के डॉक्टर्स के सामने हमेशा एक उदाहरण पेश करती है। प्रौद्योगिकी और इंस्ट्रूमेंटेशन में हाल ही में हुई प्रगति के साथ-साथ, मस्तिष्क और खोपड़ी आधार शरीर रचना विज्ञान की बेहतर समझ ने कीहोल (ामलीवसम) सर्जरी के माध्यम से मस्तिष्क और खोपड़ी में मौजूद ट्यूमरों को सुरक्षित रूप से हटाने में डॉक्टरों को सक्षम बनाया है।
मामले की जानकारी साझा करते हुए मैक्स अस्पताल, देहरादून के मेडिकल एडवाइजर और चेयरमैन (एमआईएनडी), डॉ. एके सिंह ने बताया, ’देहरादून स्थित हमारे सेंटर से एक 44 वर्षीय महिला ने संपर्क कर बताया की पीछले तीन सालों से उनके सर में रह-रह कर दर उठता है, और हाल ही में उन्हें अपने दाहिनी आंख से देखने में भी दिक्कत आ रही थीं। एमआरआई के माध्यम से मस्तिष्क की जांच कर पर हमे पता चला की नाक औरऑरबिटल केविटि पर एक बड़ा ट्यूमर है, जो दाईं ओर की ऑप्टिक तंत्रिका पर दबाव डाल रहा है। एक बेहद जटिल ऑपरेशन के जरीए हमारें अनुभवी सर्जनों ने ट्यूमर को हटा दिया। सर्जरी के बाद हमने मरीज को सिर्फ एक रात के लिए आईसीयू में रखा और अगली सुबह उन्हें वार्ड में शिफ्ट कर दिया और सर्जरी के तीसरे दिन उन्हें डिस्चार्ज भी कर दिया गया। महीला सर्जरी के बाद अपना चेहरा देखकर हैरान थी और हमसे यह सवाल कर रही थी, आखिर डॉक्टरों ने किस तरह इस सर्जरी को अंजाम दिया क्योकींउनके चेहरे पर किसी भी तरह का जख्म और सर्जरी के निशान मौजूद नहीं थे। इस तरह की सर्जरी के बाद हमारे मरीजों की खुशी और उनका सकारात्मक नजरिया, हमें इसी तरह आगे भी काम करने के प्ररीत करता हैं।“
कीहोल सर्जरी कई प्रकार की हो सकती है।इस कीहोज सर्जरी में सुप्राऑर्बिटल अप्रोच के जरीए मरीज के आंखों के ऊपर मौजूद भौं के पास एक छोटा चीरा लगाया जाता है और उसके बाद एक छोटे आकार की बोनी खोली जाती है। इस जटिल सर्जरी के माध्यम से,खोपड़ी के अंदर के ट्यूमर को हटाया जाता है और एन्यूरिज्म को भी हटाया जाता है। नाक में मौजूद छिद्र के माध्यम से एक ओर प्रकार की जटिल सर्जरी को अंजाम दिया जाता है, इस सर्जरी में पिट्यूटरी औऱ खोपड़ी के अंदर के ट्यूमर को बिना किसी कट के एंडोस्कोप के माध्यम से अंजाम दिया जाता था। यह सर्जरी पिट्यूटरी और ब्रेन ट्यूमर को हटाने और हेमेटोमा या ब्रेन हैमरेज के इलाज के लिए की जाती है। मस्तिष्क के पीछे के हिस्से जैसे वेस्टिबुलर श्वानोमास, सेरिबेलर ट्यूमर और यहां तक कि हेमेटोमा में ट्यूमर को हटाने के लिए एक प्रकार की ओऱ सर्जरी होती है, इस सर्जरी में कान के माध्यम से या कान के पीछे से ऑपरेशन के जरीए ट्यूमर को हटाया जाता हैं।
कीहोल सर्जरी के फायदों के बारे में बताते हुए, डॉ कुञ्ज बिहारी सारस्वत, कंसलटेंट -न्यूरोसर्जरी ने कहा, “कीहोल सर्जरी मस्तिष्क को चोट से बचाने में मदद करती है, सर्जरी के बाद बेहतर रीकवरी होती है। इस सर्जरी में मस्तिष्क की सामान्य संरचनाओं के साथ संपर्क भी कम होता है, यह प्रक्रिया कम दर्दनाक होती है। सर्जरी के बाद मरीज को आईसीयू में रखने की जरूरत भी बहुत कम मौकों पर होती है, सर्जरी के कुछ घंटों के भीतर ही मरीज को पोस्ट-ऑपरेटिव रूम से उनके वार्ड में स्थानांतरित कर दिया जाता है। जिससे मरीज जल्द से जल्द ठीक होने के बाद, रोजाना के अपने सामान्य गतिविधियों पर लौट सकें। आमतौर पर सर्जरी के बाद अस्पताल से 1 से 2 दिन में मरीज को छुट्टी दे दी जाती है। हम एन्यूरिज्म को क्लिप करने के लिए भी इस कीहोल सर्जरी का उपयोग करते हैं क्योंकि यह पोस्ट-ऑपरेटिव वैसोस्पास्म या धमनियों के सिकुड़न को कम करने में मदद करता है, यह जटिल ऑपरेशन मस्तिष्क में कम से कम छेड़छाड़ के साथ किया जाता है।”
संदीप सिंह तंवर, वाइस प्रेसिडेंट- ऑपरेशंस एंड यूनिट हेड, मैक्स सुपर स्पेशियलिटी हॉस्पिटल देहरादून ने कहा, “उत्तराखंड में पहली बार मिनिमली इनवेसिव ब्रेन सर्जरी (कीहोल) की घोषणा करते हुए हमें गर्व हो रहा है। यह प्रक्रिया कम खर्च और बिलों के साथ- साथ अस्पताल में न्यूनतम ठहराव सुनिश्चित करती है। हमने उत्तराखंड के निवासियों को विश्वस्तरीय स्वास्थ्य सुविधाएं देने की अपनी जिम्मेदारी को ध्यान में रखते हुए यह सेवा शुरू की है।“
मैक्स अस्पताल का इंस्टीट्यूट ऑफ न्यूरोसाइंसेज अंतरराष्ट्रीय स्तर पर स्वीकृत दिशानिर्देशों के अनुसार निर्धारित साक्ष्य-आधारित प्रोटोकॉल के अनुसार चौबीसों घंटे, व्यापक नैदानिक और चिकित्सीय न्यूरोलॉजी सेवाएं प्रदान करता है। हमारी आपात सेवाएं एपिलेप्टिकस, स्ट्रोक, न्यूरोमस्कुलर कमजोरी, एन्सेफलाइटिस, मेनिनजाइटिस, अन्य न्यूरो संक्रामक रोगों और न्यूरोलॉजिकल की आपात स्थितियों में तुरंत और बेहतर इलाज के लिए चौबीसों घंटे उपलब्ध होता हैं।
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