आज 02 अक्टूबर 2021 को राष्ट्रपिता महात्मा गांधी एवं लाल बहादुर शास्त्री जी के जनमोत्सव पर SDRF वाहिनी जॉलीग्रांट में सेनानायक SDRF श्री नवनीत सिंह द्वारा उनके चित्रों का अनावरण कर माल्यार्पण किया व पुष्प अर्पित कर शत-शत नमन किया गया।
माल्यार्पण के पश्चात श्रीमान सेनानायक महोदय द्वारा अपने उदबोधन में समस्त अधिकारियों व कर्मचारियों को गांधीजी व शास्त्रीजी के पदचिन्हों पर चलते हुए सदैव अहिंसावादी व सत्यवादी रहने का संदेश दिया गया।
महात्मा गाँधी जी का जन्म 2 अक्टूबर सन् 1867 को, पश्चिम भारत (वर्तमान गुजरात) के एक तटीय शहर में हुआ। इनके पिता का नाम करमचंद गाँधी तथा माता का नाम पुतलीबाई था। महात्मा गाँधी के पिता कठियावाड़ के छोटे से रियासत (पोरबंदर) के दिवान थे। आस्था में लीन माता और उस क्षेत्र के जैन धर्म के परंपराओं के कारण गाँधी जी के जीवन पर इसका गहरा प्रभाव पड़ा। जैसे की आत्मा की शुद्धि के लिए उपवास करना आदि।
उद्देश्यपूर्ण विचारधारा से ओतप्रोत महात्मा गाँधी का व्यक्तित्व आदर्शवाद की दृष्टि से श्रेष्ठ था। इस युग के युग पुरुष की उपाधि से सम्मानित महात्मा गाँधी को समाज सुधारक के रूप में जाना जाता है पर महात्मा गाँधी के अनुसार समाजिक उत्थान हेतु समाज में शिक्षा का योगदान आवश्यक है। रवींद्रनाथ टैगोर द्वारा इन्हें एक पत्र में “महात्मा” गाँधी कह कर संबोधित किया गया। तब से संसार इन्हें मिस्टर गाँधी के स्थान पर महात्मा गाँधी कहने लगा।महात्मा गाँधी के शब्दों में “कुछ ऐसा जीवन जियो जैसे की तुम कल मरने वाले हो, कुछ ऐसा सीखो जिससे कि तुम हमेशा के लिए जीने वाले”। राष्ट्रपिता महात्मा गाँधी इन्हीं सिद्धान्तों पर जीवन व्यतीत करते हुए भारत की आजादी के लिए ब्रिटिस साम्राज्य के खिलाफ अनेक आंदोलन लड़े।
वहीं लाल बहादुर शास्त्री जी एक सच्चे देशभक्त थे, जिन्होंने स्वतंत्र भारत के दूसरे प्रधानमंत्री के रुप में काम किया। इसके साथ ही उन्होंने भारत के स्वाधीनता संग्राम में भी बढ़-चढ़ कर हिस्सा लिया था। वह भारत के महत्वपूर्ण नेताओं मे से एक थे। जिन्होंने देश के स्वाधीनता के लिए लड़ाई लड़ी और औरो को भी इस संघर्ष में साथ आने के लिए प्रेरित किया। उनका जन्म 2 अक्टूबर 1904 को वाराणसी के समीप मुगलसराय में हुआ था। भारत में गहरी जड़ें जमाने वाली जाति-व्यवस्था का विरोध करते हुए, 12 वर्ष की आयु में, 1917 में, उन्होंने अपना उपनाम ‘श्रीवास्तव’ छोड़ दिया। स्नातक की पढ़ाई पूरी करने के बाद, उन्हें ‘शास्त्री’ की उपाधि दी गई, जिसका अर्थ है विद्वान। लगभग 20 वर्ष के ही आयु में वह स्वाधीनता आंदोलन में शामिल हो गये थे।लाल बहादुर शास्त्री के प्रधानमंत्री बनने बाद 1965 में भारत पाकिस्तान का युद्ध हुआ जिसमें शास्त्री जी ने विषम परिस्थितियों में देश को संभाले रखा। सेना के जवानों और किसानों का महत्व बताने के लिए उन्होंने ‘जय जवान जय किसान’ का नारा भी दिया।
सेनानायक महोदय के उदबोधन के पश्चात समस्त अधिकारियों व कर्मचारियों को आगामी विधानसभा सामान्य निर्वाचन-2022 में SVEEP कार्यक्रम के अंतर्गत जनजागरूकता हेतु मतदाता शपथ दिलाई गई।
सम्पूर्ण कार्यक्रम के दौरान वाहिनी मुख्यालय में सेनानायक श्री नवनीत सिंह, उपसेनानायक श्री अजय भट्ट, सहायक सेनानायक श्री कमल सिंह पंवार,श्री अनिल शर्मा, शिविरपाल श्री राजीव रावत, निरीक्षक श्री प्रेम सिंह नेगी, श्री प्रमोद रावत, श्रीमती ललिता नेगी, सब इंस्पेक्टर श्री जयपाल राणा, श्री विजय प्रसाद, श्री मनीष कनोज्जिया ,श्री नीरज शर्मा, श्री बलबीर सिंह एवं अन्य SDRF कर्मचारी व उपनलकर्मी उपस्थित रहे।