
आज 16 अप्रैल को देश प्रदेश में हनुमान जयंती मनाई जा रही हैतमाम बजरंगबली के भक्त हाथों में ध्वज लिए जयकारों के हनुमान जयंती को मना रहे हैं ।सिया विशेषज्ञ के अनुसार हनुमान जी के जन्म की एक तिथि को उनके जन्म महोत्सव के रूप में मनाते हैं तो दूसरी को विजय अभिनंदन महोत्सव के रूप में मनाया जाता है वाल्मीकि रामायण के अनुसार हनुमान जी का जन्म कार्तिक मास की कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि को मंगलवार के दिन स्वाति नक्षत्र और मेष लग्न में हुआ था लेकिन चैत्र मास की पूर्णिमा तिथि को हनुमान जी का जन्म उत्सव मनाने के पीछे एक अन्य मान्यता दी है इस मान्यता के बताया जाता है कि बजरंगबली जन्म से ही असीम शक्ति के धनी थे तो वहीं उन्हें एक बार जोर की भूख लगी और उन्होंने सूर्य को फल समझकर खाने की चेष्टा कीउसी दिन राहु भी सूर्य देव को अपना ग्रास बनाने के लिए आया था राहु सूर्य देव को ग्रास बना ही रहा था कि तभी हनुमान जी भी सूर्य को पकड़ने के लिए झपटे और उनके हाथ ने राहुल को स्पष्ट कियाजिससे राहु घबरा कर भाग गया और इंद्रदेव से शिकायत की कि आपने मुझे हम आज के दिन सूर्य और चंद्र को ग्राहक बनाकर क्षुदा शांत करने का साधन दिया था परंतु आज दूसरे राहुल ने सूर्य का ग्रास कर लिया ।देवराज इंद्र यह बात सुनकर क्रोधित हो गए और उन्होंने अपने वज्र से हनुमान जी की ढोडी पर प्रहार किया इससे उनकी थोड़ी टेढ़ी हो गई और वह अचेत होकर गिर पड़े यह तो सभी को ज्ञात है कि हनुमान जी पवन पुत्र है औरजब किसी पिता के पुत्र पर कोई मुसीबत में हो तो लाजमी है कि पिता क्रोधित अवश्य होंगे ।फिर क्या था हनुमान जी की यह दशा देखकर पवन देव भी क्रोधित हो उठे और उन्होंने वायु का संचार रोक दिया इसके बाद जन जीवन पूरी तरह संकट में आ गया तब सभी लोगों ने ब्रह्मदेव से मदद मांगीजिसके बाद ब्रह्मा जी सभी को लेकर वायुदेव के पास पहुंचे और वायुदेव अचेत अवस्था में आ चुके अपने पुत्र को गोद में लिए दुखी होकर बैठे थेऔर तब सभी देवी देवताओं ने हनुमान जी को दूसरा जीवन दिया और उन्होंने अपनी शक्तियां प्रदान की इंद्रदेव ने बजरंगबली हनुमान के शरीर को वज्र के समान कठोर होने का भी आशीर्वाद दिया जिस दिन हनुमान जी को दूसरा जीवन प्राप्त हुआ उस दिन चैत्र मास की पूर्णिमा थी।इसलिए प्रत्येक वर्ष चैत्र पूर्णमा को भी हनुमान जयंती के तौर पर मनाया जाता है ।