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Tuesday, September 17, 2024

क्या आपने भी खाई है कंडाली,बिच्छू घास की सब्जी?इसकी कीमत जानकर हो जाएगे आप भी हैरान

आज हम आपको उत्तराखंड में खाई जाने वाली जंगली सब्जी के बारे में बताने जा रहे हैं ।यदि कोई भी इसका नाम सुन ले तो उसके पैरों से लेकर सिर तकएक अलग सी बेचैनी हो जाती है क्योंकि यह सब्जी कुछ इस तरह की है कि सुनते ही इंसान सिहर उठता है ।जतो नाम ततो गुण , इस सब्जी के नाम में ही इसके गुण छुपे हुए हैं आप सोच रहे होंगे कि यह कौन सी ऐसी सब्जी है तो हम आपको बता दें कि यह सब्जी और कोई नहीं बल्कि जंगलों वह घर के आस-पास पाया जाने वाली सब्जी कंडाली है ।

इसे मैदानी क्षेत्रों में बिच्छू घास या फिर सिसौण के नाम से भी जानते हैं ।जब बचपन में बच्चे कोई भी शरारत करते थे तो या घास उनको डराने के काम भी आती थी इस घास का नाम सुनते ही बच्चे वह सब शरारतें करना बंद कर देते थे और अपनी मम्मी का कहना चट से सुन लेते थे, जी हां इसके पत्ते और तना कटीला होता है यदि गलती से किसी के शरीर में यह पत्ता या इसका तना छू जाए तो इससे बड़े बड़े दाने उभर आते हैं इसका भी बिच्छू जैसे डंक होता है जी हां यही वजह है , कि इसे बिच्छू घास कहा जाता है ।पहाड़ों में इससे कंडाली नाम से जाना जाता है।इसकी पत्तियों सब्जी भी बनाई जाती है ।जो कि स्वास्थ्य के लिए बेहद लाभदायक है।आप अमेज़न डॉट इन पर नेटल लीफ सर्च करते हैं तो इस सर्च में जो नतीजे सामने आए हैं ।

 

वह आपको चौक आने के लिए काफी है ।उत्तराखंड के पहाड़ों में आप के खेतों के किनारे गार्ड गधे रे के आसपास उगने वाली यह कंडाली अमेज़न पर अंग्रेजी नाम के साथ ₹9000 किलो से ज्यादा दाम पर बिक रही है । जरूरतमंद और इसके शौकीन इसे खरीद भी रहे हैं, वही जानकारी में इसके अलावा भारत में इतनी महंगी बिकने वाली कोई और सब्जी या वनस्पति कश्मीर में पैदा होने वाली गुच्छी मशरूम और केसर ही है ।विश्व भर में हजारों लाखों ग्राहक इतनी महंगी नेटल खरीद कर इस पर पैसा यूं ही नहीं बर्बाद कर रहे हैं बल्कि इसकी ठोस वजह भी है कंडाली या बिच्छू घास एकमात्र वनस्पति ही नहीं बल्कि बहु कीमती औषधि भी है।

आपको बता दें कि या कई बीमारियों में रामबाण इलाज है इससे किडनी रोग गठिया रोग कमर दर्द आदि इलाज में बेहद कारगर माना गया है यह शरीर में आयरन तत्वों की पूर्ति करता है ।यूरोपीय चिकित्सा अनुसंधान में यह भी निष्कर्ष निकाला गया है कि इसके सेवन से रक्तचाप व रक्त शर्करा नियंत्रण में रहते हैं यूरोपीय लोग तो इन शोध निष्कर्षों पर पहुंचे हैं उत्तराखंड में तो पुराने समय से हीइसका प्रयोग दर्द निवारण के रूप में होता आ रहा है ।आपको बता दें यह मोच के दर्द में तो एक रामबाण माना गया है।

इससे या तो दर्द वाले स्थान पर झाड़ा किया जाता था या फिर इसका लेप बनाकर इससे उस स्थान पर लगाया जाता था जहां पर मोच आ गई हो ।यदि किसी पक्षी पर चोट या फिर उसकी हड्डियां टूट जाए तो कंडाली का लेप लगाकर वह तुरंत ठीक हो जाता है ।कंडाली कि मुलायम पत्तियों से सब्जी ,कबाब व कई अन्य प्रकार के व्यंजन बनाए जाते हैं ।आपको बता दें कि यह कंडाली कटीली होने के कारण इसे हाथ से नहीं तोडा जाता है इसे बड़े सावधानी पूर्वक चिमटा या फिर कैची क्लब आदि पहन कर तोड़ा जाता है ।

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