उत्तराखंड के उत्तराखंड के पहाड़ी क्षेत्रों में इन दिनों मंडुवा की खेती लगभग बनकर तैयार हो चुकी है आपको बता दें कि मंडुवा बीमारी के लिए एक वरदान साबित होता जा रहा है ।मंडुवा की रोटी खाने में तो बड़ी ही स्वादिष्ट होती है ।साथ ही साथ इसमें कई प्रकार के औषधीय गुण छुपे हुए हैं जोकि कई बीमारियों में लाभदायक है ।आपने गेहूं मक्का व बाजरे की रोटी तो जरूर खाई होगी। क्या आपने कभी मडुआ की रोटी का स्वाद भी चखा है।
यदि नहीं तो आज हम आपको मडुवे की रोटी खाने के फायदे बताने जा रहे हैं। इसे सुनकर आप भी दंग रह जाओगे । आपको बता दे मडुआ की रोटी का स्वाद बिल्कुल बाजरे की रोटी से भी अधिक स्वादिष्ट होता है। इसे बनाना भी आसान होता है। मंडुवे का पौधा होता है। उसमें छोटे-छोटे फूल आते हैं जिनमें मडुआ के दाने होते हैं। इन दानों को निकलवाकर इन दानों का चक्की में पिसवा कर आटा तैयार किया जाता है।
फिर उस आटे से आप रोटी, डोसा, केक, मोटी डबल रोटी, मोमो , रोल एवं चिप्स जैसे कुछ भी अन्य खाने की चीजे बना सकते हैं। मडुआ की रोटी मक्खन के साथ खाने में बहुत ही लजीज लगती है तो वहीं इसे अक्सर लोग सर्दियों में खाया जाता है। मडुए को अलग-अलग जगह अलग नामों से जाना जाता है। वहीं उत्तराखंड के कुमाऊं और गढ़वाल क्षेत्र में इसे मडुआ या फिर कोदा भी कहां जाता है और दक्षिण भारत में रागी कहा जाता है। उत्तराखंड में मंडुवे से बनी रोटी को खूब पसंद किया जाता है।
आपको बता दें कि इस मांडवे में औषधीय गुणों का भंडार है ।मडुवे में कैल्शियम, प्रोटीन, ट्रिपटोफैन, आयरन, मिथियोनिन, फाइबर, लेशिथिन, फास्फोरस, कैरोटीन और कार्बोहाइड्रेट आदि तत्व भरपूर मात्रा में पाया जाते है। मंडुवे की गर्म तासीर होती है। इसीलिए इसे लोग सर्दियों में ही ज्यादातर खाते। मडुआ की रोटी खाने से शरीर को अनेक फायदे मिलते हैं।
मडुवा की रोटी खाने से मधुमेह के रोगियों को फायदा मिलता है।मधुमेह के रोगियों के लिए यह बेहद ही लाभदायक है ।मंडुवे बिस्किट भी बनाए जाते हैं क्योंकि लोगों को खूब पसंद आते हैं और लोग इन्हें बड़े चाव से खरीदते हैं तो आप भी पहाड़ आए और मंडुवे से बने बिस्किट खरीद कर ले जाएं और इसका लाभ उठाएं ।