पहाड़ी व्यंजन
1 काफली:
कुछ स्थानों पर इसे कापा भी कहते हैं।
इसका लुत्फ सर्दियों में लिया जाता है।
यह पालक, लाई, मेथी के पत्तों से बनती है।
इस व्यंजन को लोहे की कढ़ाई में पकाया जाता है।
चावल के साथ इसे खाने का आनंद ही अलग है।
काफली में आयरन, कैल्शियम, विटामिन सी और ई जैसे तत्व रहते हैं। 2 मसूर की दाल
उत्तराखंड में मसूर की दाल प्रमुख खान-पान में शामिल है।
यह रक्त कोशिकाओं के स्तर को नियंत्रित करने में मदद करता है।
इसे हड्डियों, आंखों के लिए अच्छा माना जाता है।
चपाती और चावल के साथ इसके स्वाद की क्या बात है। 3 भट के डुबके:
यह व्यंजन प्रमुख रूप कुमाऊं क्षेत्र का पारंपरिक पकवान है।
यह उच्च प्रोटीन व फाइबर से भरपूर है।
यह डिश भट या फिर काले सोयाबीन से बनाई जाती है।
यह पाचन में मदद करती है। रक्तचाप को कम करता है।
इसमें विटामिन ई और अमीनो एसिड पाया जाता है।
4 झंगोरे की खीर:
उत्तराखंड में झंगोरे की खीर की डिश काफी प्रसिद्ध है।
झंगोरे की खीर दूध से बनाई जाती है।
इसमें मेवे मिलाए जाते हैं। इससे इसका स्वाद गजब का हो जाता है।
बता दें कि मिलेट परिवार में झंगोरा प्रमुख अनाज है।
5 भांग की चटनी
भांग से बनी चटनी के स्वाद का क्या कहना।
इसे भांग के भुने बीज व जीरे के साथ बनाया जाता है।
नींबू का रस, हरी मिर्च व धनिया पत्ती से इसका स्वाद बढ़ जाता है।
भांग की चटनी प्रोटीन का भंडार है।
सर्दियों के मौसम में पहाड़ी हरी सब्जियों के साथ ही मूली की सब्जी, आलू के गुटके में भी इसका प्रयोग किया जाता है।
6 कंडाली का साग:
कंडाली का साग भी उत्तराखंड के लोकप्रिय व्यंजनों में शुमार है।
इस व्यंजन को कंडाली की पत्तियों से तैयार किया जाता है।
कंडाली के साग में आयरन, विटामिन-ए और फाइबर पाया जाता है।
इस व्यंजन का लुत्फ रोटी और चावल के साथ उठाया जाता है।
7 लिंगुड़े का साग:
फर्न की यह प्रजाति नमी वाले क्षेत्रों में अधिक मिलती है।
इसमें आयरन और विटामिन समेत अन्य पोषक तत्वों पाए जाते हैं।
लबरेज लिंगुड़े का साग हर किसी को अच्छा लगता है।