देहरादून। मुख्य सचिव डा. एसएस संधु ने कहा कि भूस्खलन की शिक्षा और शोध कार्यों से जुड़े संस्थानों के छात्रों को अपने संस्थान में इन्टर्नशिप का प्राविधान रखा जाए।
आज यहां मुख्य सचिव डॉ. एस.एस. संधु ने सचिवालय में उत्तराखण्ड लैण्डस्लाईड मिटिगेशन एण्ड मैनेजमेंट सेंटर के अगले 5 सालों की कार्ययोजना पर सेंटर के अधिकारियों के साथ चर्चा की। मुख्य सचिव ने कहा कि हिमालय विश्व के सबसे नए एवं ऊंचे पर्वतों में से एक है और भूस्खलन की दृष्टि से हिमालय के सबसे संवेदनशील क्षेत्रों में उत्तराखण्ड शामिल है। ऐसे में उत्तराखण्ड में भूस्खलन से सम्बन्धित शोध, अध्ययन के साथ ही उपचार के लिए एक डेडीकेटेड सेंटर बनाया गया है। अब इसे विश्वस्तरीय बनाने के लिए हम सब को मिलकर कार्य करना है ताकि प्रदेश के साथ ही देश और अन्य देशों, जो कि भूस्खलन जैसी आपदा से ग्रस्त हैं, उनको तकनीकी सहायता उपलब्ध करायी जा सके। मुख्य सचिव ने कहा कि इस प्रकार के कार्यों से जुड़े विश्व के अन्य संस्थानों के साथ सहभागिता कर के अपनी-अपनी तकनीक और शोध डाटा का आदान-प्रदान कर भूस्खलन न्यूनीकरण और प्रबंधन की दिशा में तेजी से कार्य किया जाए। उन्होंने कहा कि भूस्खलन की शिक्षा और शोध कार्यों से जुड़े संस्थानों के छात्रों को अपने संस्थान में इन्टर्नशिप का प्राविधान रखा जाए। उन्होंने सेंटर द्वारा किए गए अध्ययनों का डाटा पोर्टल के माध्यम से ज्यादा से ज्यादा ओपन सोर्स में रखे जाने के निर्देश दिए, ताकि कोई भी इससे अपनी आवश्यकता के अनुसार जानकारी प्राप्त कर सके। उन्होंने कहा कि वानिकी अनुसंधान संस्थान (एफआरआई), वन विभाग और यूएलएमएमसी के मध्य आपसी सहयोग के लिए एमओयू साईन किया जाए ताकि एफआरआई के सहयोग से ऐसे पौधों की प्रजातियों के उगाने में सहयोग लिया जा सके, जो भूस्खलन रोकने में सक्षम हैं। बैठक के दौरान निदेशक शांतनु सरकार ने यूएलएमएमसी के अगले 5 वर्षों का रोडमैप मुख्य सचिव के समक्ष रखा। इस अवसर पर सचिव डॉ.रंजीत कुमार सिन्हा, अपर सचिव डॉ.अहमद इकबाल एवं विनीत कुमार सहित यूएलएमएमसी के वैज्ञानिक एवं अधिकारी उपस्थित थे।