आम जहां 60 से 80 रुपये किलो तक बिक रहा है, वहीं काफल 400 रुपये किलो तक बिक रहा है। आड़ू, पुलम, खुमानी के रेट भी 100 रुपये से नीचे नहीं हैं। काफल हल्द्वानी मंडी में नहीं आता, यह फुटपाथों पर ही बिकता है। महिला अस्पताल के सामने फुटपाथ काफल बेचने वाले बृजेश बिहार के रहने वाले हैं। उनका कहना है कि एक दिन में करीब 10 किलो तक बिक जाता है। पहाड़ से खरीदकर वह काफल बेचने आते हैं। जंगल से कई काफल के पेड़ जल भी चुके हैं। अल्मोड़ा के लमगड़ा से वह काफल ला रहे हैं।फुटपाथ पर बिक रहे Kafal के आगे फलों का राजा ‘आम’, बिक रहा 350-400 रुपये किलो तकKafal: काफल ने फलों के राजा आम को ढेर कर दियाबेडू पाको बारा मासा, नरैणा काफल पाको चैता मेरी छैला…। यह कुमाऊंनी गीत और काफल हर कुमाऊंनी व्यक्ति की चाहत है। काफल को आज तक सरकार बाजार उपलब्ध नहीं करा पाई है। यह आज भी पगडंडियों या फिर बाजार में फुटपाथ पर ही बिक रहा है। इसके बावजूद काफल ने फलों के राजा आम को ढेर कर दिया है