उत्तराखंड में पैदा होने वाले मोटे अनाजों को भले ही पूर्व में खास महत्व न दिया गया हो लेकिन अब स्थिति बदल चुकी है। पौष्टिकता से भरपूर और शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाने में मददगार है झंगोरा ,जी हां हमारे पहाड़ो में उगने वाला झंगोरा जिसकी दीवानी पूरी दुनिया है ।
मगर इसे बढ़ावा देने को गंभीरता से प्रयास नहीं हुए। हालांकि, राज्य गठन के बाद मंडुवा झंगोरा को आर्थिकी का अहम जरिया बनाने की ठानी गई। उत्तराखंड में उत्पादित जैविक मंडुवा, झंगोरा, रामदाना जैसे मोटे अनाज पौष्टिकता से लबरेज हैं। इनमें मौजूद पौष्टिक तत्वों और औषधीय गुणों ने देश ही नहीं विदेश को भी अपनी इस गुणवत्ता आकर्षित किया है। चिकित्सकों के अनुसार झंगोरे में कैल्शियम, आयरन, मिनरल, प्रोटीन और प्रचुर मात्रा में विटामिन बी कांप्लेक्स पाया जाता है। पहाड़ में उत्पादित झंगोरा जैसे मोटे अनाज पौष्टिक और जरूरी तत्वों के समावेश के कारण शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने में भी सहायक हैं। आयरन, कैल्शियम, मिनरल्स, प्रोटीन हमारे शरीर को भीतर से मजबूत करते हैं। मैटाबॉलिज्म बढ़ाने के साथ ही यह कब्ज और एसिडिटी की समस्या भी दूर करते हैं। इन्हीं गुणों के कारण इनकी डिमांड बढ़ रही है। उत्तराखण्ड के पहाड़ो में इससे चावल और खीर बनाई जाती है। इससे बनाई गई खीर खाने में बेहद ही स्वादिष्ट और लाजवाब होती है। यह झंगोरा चावल बाजारों पर भी उपलब्ध है । एक बार आप भी इस खीर को जरूर खाये।