पौड़ी गढ़वाल : समापन हुआ गुरु गोरखनाथ मेले का सभी भक्तों ने मांगी अपनी अपनी मनोकमना

देवों की भूमि इसके उत्तराखण्ड की इन हिमालयी चोटियों में कई देवी देवताओं के मंदिर बसे हुए है , यहां कई देवी-देवताओं का निवास स्थान है। उत्तराखण्ड को मनीषियों की पूर्ण कर्म भूमि कहा गया है।जहां देवी-देवता निवास करते हैं। जिस वजह से यहां कई देवी-देवताओं के चमत्कारिक मंदिर हैं। जिस के चलते साल भर यहां सैलानियों के साथ श्रद्धालुओं का आवागमन लगा ही रहता है।तो वहीं आज हम आपको गुरु गोरखनाथ जी के मंदिर के बारे में अवगत करा दे । जिनका संबंध पौराणिक काल से बताया जाता है, जहां दूर-दराज से श्रद्धालु इस मंदिर में आकर अपना शीश झुकाते हैं और मनोकामना राद पूर्ण होने पर भंडारा कराते हैं।
आपको बता दे की पौड़ी गढ़वाल जनपद के जहरीखाल ब्लॉक के अंतर्गत ग्रामसभा गजवाड़, घिल्डियाल गांव में स्थित यह मंदिर सदियों पुराना बताया जाता है। जिसे गुरु गोरखनाथ मंदिर के नाम से जाना जाता है। जिस का निर्माण सन-15 अप्रैल 1951 को किया गया था। मंदिर तक पहुंचने के लिए भक्तों को कोटद्वार से लगभग 30 किमी की दूरी तय करनी पड़ती है। यह लोगों में देवताओं के प्रति एक अटूट आस्था ही तो है जो उन्हें इस पवित्र धाम की ओर खींच लाती है। मान्यता है कि यहां से कोई श्रद्धालु खाली हाथ नहीं लौटा। जब किसी श्रद्धालु द्वारा सच्चे मन से मांगी गई मुराद पूरी हुई है, तो वह मनोकामना पूरी होने पर मंदिर में आकर अपनी श्रद्धा से भंडारा करवाता है।

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