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शमशाद एक मुस्लिम समाज से तालुक रखते हुए भी देवभूमि उत्तराखंड की संस्कृति को दे रहे है ,बढ़ावा

शमशाद एक मुस्लिम समाज  से तालुक रखते हुए  भी देवभूमि उत्तराखंड की संस्कृति को दे रहे है ,बढ़ावा

शमशाद एक मुस्लिम समाज से तालुक रखते हुए भी बिना निसंकोच समाज में भाईचारे और आपसी प्रेम का संदेश देते हुए निस्वार्थ भाव से देवभूमि कहे जाने वाले उत्तराखण्ड संस्कृति पर 27वर्षों से कार्य कर रहे है। बात है तब की जब शमशाद 8 -9 में पढ़ते थे उम्र थी महज़ 14,15 साल और वर्ष था 1995 जब शमशाद ने पहली बार पेंटिंग बनाई और उसे अमर उजाला न्यूज़ पेपर अपने पेपर में जगह दी और वही से शमशाद हेड लाइन में आए।
उनकी इसी पेंटिंग कला को देखकर नवोदय पर्वतीय कला केंद्र के अध्यक्ष हेमराज बिष्ट जी ने उन्हें अपने वहां छलिया महोत्सव में पेंटिंग बनाने का न्योता दिया और फिर शमशाद ने उत्तराखंड का पहला छलिया महोत्सव की उद्घाटन से लेके मंच सज्जा तक की सारी पेंटिंग्स छलियाओं की तैयार की जिसका उद्घाटन उस समय के विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी मंत्री बची सिंह रावत जी ने किया था।


शमशाद ने हमेशा से ही उत्तराखंड की संस्कृति, लोककला, विरासत, देवभूमि की कई विलुप्त होने वाली पौराणिक धरोहरों लोक गाथाओं को अपने चित्रों के माध्यम से दर्शाते रहे । शमशाद पिथौरागढी भारत के पूर्व राष्ट्रपति स्व. एपीजे अब्दुल कलाम से वर्ष 2009 में मिले व संस्कृति से रूबरू करवाया।
कलाम साहब ने उनकी तारीफ की और अपना ऑटोग्राफ भी दिया उसके बाद शमशाद पिथौरागढी अपने कार्य को और ज्यादा मन से करने लगे और धीरे-धीरे अनेक लोगों से मिलते चले गए और अनेक सम्मान भी पाते गए . जाने माने लोगों से मिले और अपनी कला पेंटिंग्स को देश के प्रमुख गणमान्य नामो में योगी आदित्यनाथ, त्रिवेंद्र सिंह रावत, तीरथ सिंह रावत, पुष्कर धामी, आनंदीबेन पटेल, रमेश पोखरियाल निशंक, रमेश बाबू गोस्वामी, प्रकाश पंत, अखिलेश यादव, हरीश रावत ,राजनाथ सिंह, उप मुख्मंत्री उत्तर प्रदेश सरकार माननीय बृजेश पाठक, दिनेश शर्मा, मेयर लखनऊ संयुक्त भाटिया, दया शंकर (मंत्री), रीता बहुगुणा जोशी ,रमेश भट्ट, प्रियंका गांधी, सुमित हृदेश, ओहो रेडियो, दर्शन फर्स्वाण, ज्योति पंत (गीत गंगा स्टूडियो), रमेश बाबू गोस्वामी जी को भेंट किया है।

शमशाद ने उत्तराखंड की संस्कृति ऐपण को विश्व पटल पर रखकर देश के कोने कोने तक ये कला जा प्रचार प्रसार किया व कई बड़े मंचो पर अक्सर सम्मानित हुए। शमशाद के चित्रों में पहाड़ में प्रयोग होने वाले वाद्य यंत्र, छलिया, हिलजात्रा , ग्रामीण इलाकों के चित्र, वेश भूषा, आभूषणों प्र विशेषकर कुमाऊनी इलाकों में पहने जाने वाली पिछौड़ी, मुंसियारी,धारचूला की रंग समाज व भोटिया समाज की वेशभूषा, आभूषण पर ज्यादा पेंटिंग्स रहती है। अब तो उत्तराखंड के जगह-जगह स्कूल की दीवारों में थे उनकी ही बनाई हुई पेंटिंग दिखाई देती है।

जिसमें उत्तराखण्ड झलकता है।ये ही नहीं बल्कि शमशाद ने उत्तराखंड की संस्कृति को बढ़ाने के कार्य में लेखन व गीतों पर भी लंबा कार्य किया। जिसमें अब तक 20 उत्तराखंडी सुपरहिट गीत रिलीज हो चुके है। उनकी ये सोच बेहद सराहनीय है।

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