राज्यस्तरीय संगीत शिक्षक प्रतिभा सम्मान-समारोह शुक्रवार को ग्राफिक एरा हिल यूनिवर्सिटी के सभागार में प्रारम्भ हुआ। कार्यक्रम के मुख्य अतिथि के रूप में पद्मश्री डॉ. प्रीतम भरतवाण लोक गायक ने कहा कि हिमालय का लोक संगीत देवस्व प्रकट करता है। इसमें इतनी शक्ति है कि यह अन्तः चेतना को जागृत कर देवत्व को जगा देता है। उन्होंने कहा कि छात्रों में संगीत के प्रति रुचि पैदा करते हुए एक वातावरण का निर्माण किया जाना चाहिए। लोक गीत और संगीत पर आधारित डिप्लोमा कोर्स आयोजित किए जाने चाहिए। वर्तमान समय में दुनिया के तमाम विकसित देश अपने लोक की ओर आ रहे हैं। लोक से सभ्यता जीवित रहती है। वर्तमान विकास के बारे में उन्होंने कहा कि विकास का अर्थ भौतिक विकास से ही नहीं है बल्कि अन्तः चेतना के विकास से भी है।
महानिदेशक विद्यालयी शिक्षा बंशीधर तिवारी ने कहा कि शिक्षकों को एक बेहतरीन मंच प्रदान करना इस कार्यक्रम का उद्देश्य है। इससे परम्पराएं जीवन्त रहेंगी। परम्पराओं को अगली पीढ़ी तक पहुंचाया जाना जरूरी है। उन्होंने कहा कि गायन, वादन और नृत्य एक यौगिक क्रिया है। यह शरीर, मन और प्राण का योग होता है। संगीत के माध्यम से सुनने और सुनाने वाले दोनों को सुख मिलता है। कहा कि अपने लोक-वाद्य, लोक-गायन सबका संरक्षण होना चाहिए। कहा कि संगीत जीवन का अभिन्न हिस्सा है। इससे मन को सुकून मिलता है।
निदेशक, अकादमिक शोध एवं प्रशिक्षण उत्तराखण्ड आर. के कुंवर ने कहा कि संगीत की प्रतिभा जन्मजात होती है। जिसे लगातार अभ्यास के द्वारा निखारा जाता है। इस प्रकार के कार्यक्रम प्रतिभाओं को प्रोत्साहित करने की दृष्टि से उपयोगी सिद्ध होते हैं। उन्होंने कहा कि विगत दो वर्षों से इस कार्यक्रम के माध्यम से शिक्षकों को अपनी प्रतिभा दिखाने का अवसर प्राप्त हो रहा है।
ग्राफिक एरा हिल यूनिवर्सिटी के रजिस्ट्रार कैप्टन हिमांशु धूलिया और ब्रिगेडियर ओ. पी. सोनी ने नई शिक्षा नीति 2020 में संस्कृति और कला के संरक्षण पर विशेष बल दिये जाने का उल्लेख किया तथा छात्रों के सर्वांगीण विकास में इसे लाभदायक बताया।
निदेशक, प्रारम्भिक शिक्षा वन्दना गर्ब्याल ने कहा कि यह कार्यक्रम विद्यालय स्तर से राज्य स्तर तक विभिन्न चरणों में सम्पन्न होता है। इसके अन्तर्गत शास्त्रीय संगीत, सुगम संगीत तथा शास्त्रीय वादन और नृत्य पर आधारित प्रस्तुतियां दी जाती हैं।
निदेशक, माध्यमिक शिक्षा उत्तराखण्ड सीमा जौनसारी ने कहा कि ऐसे कार्यक्रम बच्चों को अपनी सांस्कृतिक जड़ों से जोड़ने का कार्य करते हैं।
उद्धाटन सत्र में कार्यक्रम की संयोजक डॉ. उषा कटियार ने प्रसिद्ध गायिका लता मंगेशकर को श्रद्धांजलि देते हुए राम का गुणगान करिए भजन प्रस्तुत किया।
इस अवसर पर अपर निदेशक रामकृष्ण उनियाल, संयुक्त निदेशक कंचन देवराड़ी, विभागाध्यक्ष प्रदीप रावत, उप निदेशक राय सिंह रावत, विभागाध्यक्ष सीमैट विनोद ढौंडियाल, सहायक निदेशक एस.सी.ई.आर.टी. अनीता द्विवेदी, प्रवक्ता देवराज राणा, डॉ. राकेश गैरोला, डॉ. रमेश पन्त शिव प्रकाश वर्मा, डॉ. उमेश चमोला, डॉ. अंकित जोशी, विनय थपलियाल, डॉ. अजय चौरसिया, डॉ. शशि शेखर मिश्र, डॉ. नंद किशोर हटवाल, रेनू चौहान, मोनिका गौड़, डॉ. बिन्दु नौटियाल, राकेश नौटियाल, सोहन नेगी, दिनेश चौहान, सुनीता उनियाल, राज कुमार, सरोप सिंह राणा, सुरेन्द्र, स्वाति लिंगवाल, हिमानी भट्ट उपस्थित रहे।
दो दिवसीय इस कार्यक्रम में उत्तराखण्ड के हर जनपद से कुल 38 शिक्षक भाग ले रहे हैं। प्रथम दिन गायन और वादन तथा दूसरे दिन नृत्य पर आधारित कार्यक्रम प्रस्तुत किए जाने हैं। कार्यक्रम का संचालन डॉ मोहन बिष्ट ने किया। अपर निदेशक एस सी ई आर टी डॉ आर, डी शर्मा, स्टाफ ऑफिसर समग्र शिक्षा बीपी मंडोली ने सभी प्रतिभागियों और मुख्य अथिति के प्रति धन्यवाद ज्ञापित किया।