देहरादून। राज्यपाल लेफ्टिनेंट जनरल गुरमीत सिंह (से नि) ने मंगलवार को एफआरआई में केन्द्रीय अकादमी राज्य वन सेवा, देहरादून के 35 वें दीक्षांत समारोह में बतौर मुख्य अतिथि प्रतिभाग किया। दीक्षांत समारोह में राज्यपाल ने प्रशिक्षण के दौरान विभिन्न क्रियाकलापों में सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन करने वाले प्रशिक्षु अधिकारियों को प्रशस्ति पत्र और मेडल देकर सम्मानित किया। उत्तरप्रदेश की संवेदना चैहान को पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय का स्वर्ण पदक देकर सम्मानित किया गया। राज्यपाल ने परिसर में लगी फोटो गैलरी का भी अवलोकन कर उसकी प्रशंसा की। इस अवसर पर राज्यपाल ने केन्द्रीय अकादमी के विभिन्न प्रकाशनों का विमोचन भी किया। 35वें राज्य वन सेवा के (वर्ष 2021-23) दो वर्षीय प्रवेश पाठ्यक्रम बैच में राज्य वन सेवा के कुल 33 अधिकारियों ने प्रशिक्षण प्राप्त किया। इस बैच में पांच राज्यों, जिनमें उत्तरप्रदेश के 18, पश्चिम बंगाल के 08, मेघालय के 04, महाराष्ट्र के 01 और नागालैण्ड के 02 राज्य वन सेवा के अधिकारी शामिल रहे। बैच में कुल 08 महिला अधिकारियों ने प्रशिक्षण प्राप्त किया।
दीक्षान्त समारोह को सम्बोधित करते हुए राज्यपाल लेफ्टिनेंट जनरल गुरमीत सिंह (से नि) ने अधिकारियों और उनके परिजनों को बधाई एवं शुभकामनाएं दी। उन्होंने कहा कि आप सभी ऐसे समय में वन सेवा में सम्मिलित हुए हैं जब भारत अमृतकाल के दौर में प्रवेश कर चुका है, ऐसे में आपकी जिम्मेदारी और अधिक बढ़ जाती है। उन्होंने कहा कि आप सभी लगभग तीन दशकों तक देश एवं प्रदेश की सेवा करेंगे, यह समय आपके संकल्प और नए भारत के निर्माण में महत्वपूर्ण होंगे। उन्होंने विश्वास जताया की सभी वनाधिकारी राष्ट्र निर्माण में अपना अमूल्य योगदान देंगे। उन्होंने जोर दिया कि प्राकृतिक संरक्षण के दौरान विभिन्न प्रकार की परिस्थितियों का सामना करते हुए देश एवं मानवता के लिए आत्मीयता से कार्य करना है।
राज्यपाल ने कहा कि वन एवं वन संपदा हमारी आर्थिक प्रगति और विकास का जरिया बन सकता है इसमें वन विभाग से जुड़े अधिकारियों की महत्वपूर्ण भूमिका रहेगी। उन्होंने कहा कि यह एक ऐसा पेशा है, जहां हमें वन्य जीवों की रक्षा और सुरक्षा का ध्यान रखने का अवसर मिलता है, साथ ही विभिन्न जैव उत्पादों के माध्यम से देश की आर्थिक प्रगति में योगदान दिया जा सकता है। वन सेवा हमारे पर्यावरण की रक्षा और पारिस्थितिकी सुरक्षा में भी बहुत बड़ी भूमिका निभाते हैं।
राज्यपाल ने कहा कि आज जब पर्यावरण और पारिस्थितिकी असंतुलन से पूरा विश्व चिन्तित है ऐसे में वन विभाग और वनाधिकारियों की भूमिका और अधिक महत्वपूर्ण हो जाती है। आप सब जानते ही हैं कि किस प्रकार से विश्व के पारिस्थितिकी संतुलन को बनाए रखने में वनों का एक बहुत बड़ा योगदान है। जलवायु परिवर्तन, ग्लोबल वार्मिंग की चिन्ताओं से मुक्ति के लिए वनों का विकास और वन्यजीवों की सुरक्षा बहुत आवश्यक है। उन्होंने विश्वास जताया कि वनाधिकारी इस दिशा में अवश्य ही प्रभावी कदम उठाएंगे। दीक्षान्त समारोह में इंदिरा गांधी राष्ट्रीय वन अकादमी, देहरादून के निदेशक भारत ज्योति ने भी अधिकारियों को सम्बोधित किया और उनके सफल कार्यकाल के लिए शुभकामनाएं दी। इस अवसर पर एफआरआई की निदेशक डॉ रेनू सिंह, महानिदेशक भारतीय वानिकी अनुसंधान एवं शिक्षा परिषद अरुण सिंह रावत, निदेशक वन शिक्षा निदेशालय देहरादून अनुराग भारद्वाज, अपर महानिदेशक केन्द्रीय क्षेत्रीय कार्यालय पर्यावरण एवं जलवायु परिवर्तन पंकज अग्रवाल, प्रमुख वन संरक्षण एवं उत्तराखण्ड जैव विविधता बोर्ड अध्यक्ष डॉ.समीर सिन्हा, अपर निदेशक इंदिरा गांधी राष्ट्रीय वन अकादमी सुशील अवस्थी, प्रधानाचार्य केन्द्रीय अकादमी राज्य वन सेवा मीनाक्षी जोशी, परीक्षा नियंत्रक प्रदीप वाहुले, कोर्स निदेशक अमलेंदु पाठक के अलावा वन सेवा के अन्य अधिकारीगण और प्रशिक्षु अधिकारी व उनके परिजन उपस्थित रहे।