ज्योतिषाचार्य आचार्य डॉ. चंडी प्रसाद घिल्डियाल ने बताया कि शास्त्रों के अनुसार कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की द्वितीय तिथि, जिस दिन दोपहर के समय होती है, उसी दिन भाई दूज का त्योहार मनाना चाहिए। इसी दिन यमराज, यमदूत और चित्रगुप्त की पूजा करनी चाहिए और इनके नाम से अर्घ्य और दीपदान भी करना चाहिए।हिंदू धर्म में भाई दूज के पर्व का विशेष महत्व है। हर साल कार्तिक माह के शुक्ल पक्ष की द्वितीय तिथि को भाई दूज का त्योहार मनाया जाता है। भाई दूज के मौके पर बहन भाई के माथे पर टीका करती है। आरती उतारकर उनकी लंबी आयु की कामना करती है।मान्यता है कि भाई दूज के दिन बहनों के घर भोजन करने से भाई की उम्र बढ़ती है। इस साल भाई दूज के पर्व की तिथियों को लेकर उलझन की स्थिति बनी हुई है।
वहीं, ज्योतिषाचार्यों का कहना है कि इस साल भाई दूज का पर्व दो दिन यानी 26 और 27 अक्तूबर को मनाया जाएगा। अगर दोनों दिन दोपहर में द्वितीय तिथि हो तब पहले दिन ही द्वितीय तिथि में भाई दूज का पर्व मनाना चाहिए। वहीं, ज्योतिषाचार्य डॉ. आचार्य सुशांत राज ने बताया कि इस साल 26 और 27 अक्तूबर को यही स्थिति बन रही है।26 अक्तूबर यानी बुधवार के दिन दोपहर दो बजकर 43 मिनट से भाई दूज का पर्व मनाना शुभ रहेगा, जो 27 अक्तूबर को दोपहर एक बजकर 18 मिनट से तीन बजकर 30 मिनट तक रहेगा।
उन्होंने कहा कि देश, काल और परिस्थिति के अनुसार उदया तिथि के हिसाब से भी त्योहार को मनाया जाता है। ऐसे में जहां पर लोग उदया तिथि को मानते हैं, वहां पर 27 अक्तूबर को भी भाई दूज की पूजा कर सकते हैं।ऐसी मान्यता है कि जिन महिलाओं के भाई दूर रहते हैं और वह उन तक भाई दूज के दिन नहीं पहुंच पाती। वह इस खास दिन नारियल के गोले को तिलक करके रख लेती हैं और फिर जब उन्हें मौका मिलता है, वह भाई के घर जाकर उन्हें यह गोला भेंट करती हैं।