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हरेला पर्व श्रावण मास के प्रथम दिन मनाया जाता है। जो शरद ऋतू के आगमन में मनाया जाता है और यह पर्व जुलाई एवं अगस्त के बीच में आता है।
बता दें की यह हरेला का त्यौहार फसलों की अच्छी पैदावार होने के लिए भी मनाया जाता है। हमारे पूर्वजों ने हरेला जैसे त्यौहार को मनाने की एक बेहद सुन्दर परंपरा दी है। जिससे पर्यावरण को भी संरक्षण प्राप्त होता है। हरेला त्यौहार उत्तराखण्ड के कुमाऊँ मंडल मे बड़े ही धूमधाम के साथ तमाम महिलाओं द्वारा कुमाऊनी परिधान और रीति रिवाज के साथ मनाया जाता है हरेला में पांच, सात या नौ अनाजों को मिलाकर हरेले से नौ दिन पहले दो बर्तनों में मिटटी में बोया जाता है और परिवार के बुजुर्ग सदस्य हरेला काटते हैं और सर्वप्रथम हरेला समस्त देवी देवताओं को अर्पित किया जाता है। इसके पश्चात परिवार की बुजुर्ग महिला परिजनों को हरेला आर्शीवाद के रुप में देती है।