15 मार्च चैत्र 1 गते को उत्तराखंड का लोकपर्व त्यौहार “फुलदेई”: मनाए जाने की परंपरा है। ऐसी मान्यता बताई जाती है कि जब माता पार्वती की ससुराल के लिए विदाई हो रही थी तब वे तिल-चावलों से देहली भेट रही थी तो उनकी सहेलियों ने रुआंसे मुख से कहा पार्वती तुम तो यहां से विदा हो रही हो अब हम तुम्हें किस तरह याद करेंगे तुम हमें अपनी कुछ निशानी यहां छोड़ जाओ ऐसा कहते हुए सहेलियां फकफकाने लगी
तब माता पार्वती प्रसन्न मुद्रा में खिलखिलाते हुए तिल-चावलों से देहली भेटने लगी तो उनकी खिलखिलाहट से वे तिल-चावल पीले-2 फूलों में परिवर्तित हो गये और उनका नाम “प्यूली के फूल” रखा गया। माता ने सहेलियों से कहा प्रिय सहेलियो जब भी तुम इन पीले-2 फूल देहली पर विखेरोगे इन फूलों में तुम्हें मेरा प्रतिबिंब दिखाई देगा। तभी से चैत्र मास 1 गते को “फुलदेई” का पवित्र त्यौहार मनाया जाने लगा क्योंकि उसी दिन माता पार्वती की अपने ससुराल के लिए विदाई हुई थी ऐसी मान्यता बताई जाती है। ये केवल देहली की पूजा ही नहीं बल्कि इसमें माता पार्वती की भी पूजा हो रही है
क्या महिमा है माता की उत्तराखंड में कितने गांव होंगे कोई गिनती नहीं। कम से कम एक गांव में 20, 30 घर तो होंगे ही यदि एक गांव से 20, 30 , बच्चे फूल खेलने घरों में जायेंगे तो कितने फूलों की आवश्यकता पड़ेगी लेकिन देखने में आता है कि सारे उत्तराखंड के खेत खलिहान, गांवों, कस्बों व बाजारों के अगाड़ी, पिछवाड़ी सब “प्यूली” के फूलों से भरा रहता है किसी प्रकार फूलों की कोई कमी नही होती, ये माता पार्वती महती कृपा नहीं है तो और क्या है इसीलिए इसे “देवभूमि” कहा जाता है। फुलदेई के दिन सारे बच्चे देहली पर फूल विखेरते हुए एक स्वर से एकसाथ बोलते हैं
🌹”फूलदेई, छम्मादेई, दैंणींद्वार, बेशुमार भर भकार, हमारे भर जाएं टुपर टापरि तुमार भरिजें भकार, फूलदेई छम्मादेई”-2 दैंणींद्वार बेशुमार”🌹
🌹आप सभी को फुलदेई की हार्दिक शुभकामनाएं🌹 फुलदेई का त्यौहार आप सबको मंगलमय हो🌹माता पार्वती की कृपा से अन्न, धन-दौलत व खजाना और भकार आपके बेशुमार भरे रहें🌹माता पार्वती की जय 🌹
फूलदेई की ढेरो शुभकामनाए