श्रवण मास का यह पावन पर्व है। बतादे की आज सावन माह के दूसरे सोमवार के शुभ अवसर पर आज तड़के से ही मंदिर परिसर में भगवान भोले नाथ की पूजा-अर्चना और जलाभिषेक शुरू हो गया।
मंदिरों में भक्तों की भीड़ देखने को मिल रही हैं। देहरादून, हरिद्वार, ऋषिकेश, उत्तरकाशी, गाेपश्वर समेत सभी क्षेत्रों के शिवालयों में भक्त जन पूजा के लिए पहुंचे। वही श्रद्धालुओं से कोविड नियमों का सख्ती से पालन करने की अपील की गई है। मंदिर परिसर में बिना मास्क व सैनिटाइजर के भीतर जाने की अनुमति नहीं है।
बता दें कि मैदानी इलाकों के लोगों के लिए आज सावन का दूसरा सोमवार है। जबकि उत्तराखंड के पहाड़ी इलाके वाले लोगों को लिए आज सावन का तीसरा सोमवार है। सूर्य के प्रतिमास नई राशि में प्रवेश करने से सौरमास की गणना की जाती है। चंद्रमास का आरंभ कृष्ण पक्ष से शुक्ल पक्ष तक रहता है। अत: सौर और चंद्र दोनों कैलेंडर की गणना में कुछ अंतर है, इसलिए पर्वतीय इलाकों में सौरमास से श्रवण पर्व मनाए जाते हैं।पहाड़ी और मैदानी क्षेत्रों में सावन की शुरुआत अलग-अलग गणना से होती है। विक्रमादित्य की तरफ से स्थापित विक्रमी संवत्सर लगने के पश्चात पूर्व 2078 वर्षों से चंद्रमास की मान्यता है। वर्षभर के तमाम पर्वों का फैसला भी चंद्रमास से ही किया जाता है। सौर कैलेंडर मनाने वाले भी समस्त पर्व चंद्रमास के हिसाब से मनाते हैं।