फायर सीजन के दो माह तक शांत रहे जिले के जंगल अप्रैल माह में धधकने लगे हैं। पिछले एक सप्ताह में वनाग्नि की घटनाओं में अचानक तेजी आ गई है। पंचायती व सिविल वनों में आग लगने की घटनाएं ज्यादा हो रही हैं। एक पखवाड़े में सिविल वनों में आग लगने की आठ घटनाएं सामने आ चुकी हैं।
बाराकोट ब्लाक के अंतर्गत आने वाले इजड़ा, गल्लागांव और लडीधुरा के जंगलों में पिछले तीन दिनों से भीषण आग लगी हुई है। इजड़ा के जंगल की आग पर दमकल टीम ने काबू पा लिया है, लेकिन लड़ीधुरा व गल्लागांव का जंगल गुरुवार को भी सुलगता रहा। आग से वन संपदा को व्यापक नुकसान पहुंचने के साथ क्षेत्र में धुएं का गुबार छा गया है।तीनों जंगल चीड़ बाहुल्य हैं, जिससे आग तेजी से भड़क रही है। आग की लपटें गांवों के नजदीक पहुंचने से ग्रामीणों में भय का माहौल बना हुआ है। वन विभाग की टीमें स्थानीय लोगों के साथ आग बुझाने का प्रयास कर रही हैं। लेकिन दुर्गम इलाका होने के कारण आग पर काबू पाने में कठिनाई आ रही है। लड़ीधुरा के जंगल में लगी आग मंदिर की ओर बढ़ रही है, जिससे मंदिर को खतरा पैदा गया है।इधर गल्लागांव के जंगल में आग लगने से गल्लागांव-देवली माफी मोटर मार्ग पर पहाड़ी से लगातार पत्थर गिर रहे हैं, जिससे वाहनों में आवाजाही करने वालों के लिए खतरा बना हुआ है। बाराकोट ब्लाक के इजड़ा गांव के जंगलों में लगी आग पर बमुश्किल तीसरे दिन काबू पा लिया गया।गुरुवार को फायर स्टेशन प्रभारी जगदीश सिंह के नेतृत्व में पहुंची टीम ने आठ घंटे की मशक्कत के बाद आग बुझाई। टीम में फायरमैन उमेश कुमार, पूजा राणा, नीलम राणा शामिल रहे। बाराकोट में ही छनाडीणा के जंगल से लगी आग डोबाधुरा के जंगल तक पहुंच गई है। ग्रामीण राजेंद्र सिंह व प्रकाश सिंह ने बताया कि आग तेजी से जंगल में फैल रही है।