बीते गुरुवार को राष्ट्रीयकृत बैंक कर्मचारी हड़ताल पर रहे।वहीं दो दिवसीय हड़ताल के पहले दिन अनुमान लगाया गया की साढ़े सात सौ करोड़ का अनुमानित लेनदेन प्रभावित हुआ।
तो वहीं शुक्रवार यानि आज भी बैंक कर्मी हड़ताल पर हैं। गुरुवार को राजधानी देहरादून के एस्लेहाल स्थित सेंट्रल बैंक ऑफ इंडिया के सामने हड़ताल कर बैंककर्मियों ने सरकार के खिलाफ जमकर प्रदर्शन किया।बैंककर्मियों ने कहा कि शीतकालीन सत्र में बैंकिंग अधिनियमों में परिवर्तन कर सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों का निजीकरण करने की सरकार की मंशा है जिसका हम सख्त विरोध करते हैं। उन्होंने बताया की लंबे समय से आंदोलन करने के बावजूद भी सरकार की तरफ से कोई सकारात्मक निर्णय न लेने के कारण ही दो दिवसीय हड़ताल करने का फैसला लिया है। यूएफबीयू के संयोजक समदर्शी बड़थ्वाल ने कहा कि बैंकों का निजीकरण कर सरकार कॉरपोरेट पूंजीपतियों को लाभ पहुंचाना चाहती है।
सरकारी बैंक आम नागरिकों को सस्ती बैंकिंग सेवा उपलब्ध कराते हैं, परन्तु इन बैंकों का निजीकरण हो जाने से जहां एक तरफ लोगों को महंगी बैंकिंग सेवाएं मिलेंगी। ये ही नहीं बल्कि उसके साथ ही इसका रोजगार पर भी बुरा प्रभाव पड़ेगा। उन्होंने ये भी बताया कि दो दिवसीय हड़ताल से अनुमानित 15 सौ करोड़ का लेनदेन प्रभावित होगा। वहीं प्रदर्शन करने वालों में के आर बेलवाल,एसएस रजवार, आरके गैरोला,हसन अब्बास, अनिल जैन, विनय शर्मा ,वीके जोशी, सीके जोशी, सुधीर रावत, कमल तोमर, , मयंक अग्रवाल, दीपशिखा लालेरिया, आकाश उनियाल, प्रदीप डबराल, विजय गुप्ता, आईएस रावत, अखिलेश नवानी, कॉम ओझा, प्रदीप तोमर, आशा शर्मा, अंकित यादव, मनोज ध्यानी, मनीष सेठी, रजत पांडेय, आरपी शर्मा, ओपी मौर्य आदि थे।