23 अक्टूबर 2014 दीपावली की रातको राजधानी देहरादून में दिल को दहला देने वाला निर्मम चौराह हत्याकांड, जिसके बारे में जिसने भी सुना उनके दिल दहल उठे।सायद ही कोई इस हत्या कांड को भुल पाया होगा । हत्याकांड में दोषी हरमीत सिंह ने अपने ही परिवार के 5 सदस्यों की निर्ममता से हत्या कर उन्हें मौत के घाट उतार दिया था । दीपावली की वो रात इस पूरे परिवार के लिए एक काल की रात बन कर आई । देहरादून के आदर्श नगर में स्थित आवास में हत्या का आरोपी हरमीत सिंह ने अपने पिता जय सिंह, माता कुलवंत कौर और सौतेली बहन गर्भवती हरजीत कौर उर्फ हनी और अपनी 5 साल की भांजी सुखमणि को चाकू से गोदकर लहूलुहान कर निर्मम हत्या कर दी थी यह हत्या कांड प्रॉपर्टी विवाद को लेकर गई थी. इस वारदात में भांजा कंवलजीत चाकू से घायल होने के बावजूद छुप गया था जिस वजह से उसकी जान बच गई । कमलजीत ही इस पूरी वारदात का एक अकेला चश्मदीद था जिसने यह पूरा हत्याकांड अपनी आंखों से देखा था, घटना के समय आरोपी की सौतेली बहन हरजीत सिंह उर्फ हनी के पेट में पल रहे 8 महीने के गर्भ की भी हत्या की गई थी जिसके बाद आज ए डी जे 5 वीं आशुतोष मिश्रा की अदालत ने दोषी हरमीत सिंह को फांसी की सजा सुनाई।सजा का ऐलान होते ही दोषी हरमीत सिंह के पैरों तले से जमीन खिसक गई ।उसके आँखों के सामने अँधेरा सा छा गया। जिसके बाद दोषी हरमीत सिंह कोर्ट परिसर में ही फफक फफक कर रो पड़ा।किसी ने सही कहा गया है कि जैसी करनी वैसी भरनी।जी हाँ बुरे का अंत भी अधिक बुरा ही होता है।