उत्तराखंड विधानसभा के मानसून सत्र की शुरुवात हो चुकी है। जहां पहले ही दिन से विपक्ष ने प्रश्न करने के दौरान भू-कानून, रोजगार, आदि की मांग के मुद्दों को लेकर सरकार का जमकर घेराव कर रही है। तो वहीं विपक्ष चुनावी साल होने के चलते प्र्तेक सवालों को लेकर सदन से लेकर सड़कों तक सरकार पर दबाव बनाने की कोशिश में लगी हुई हैं।
इसी क्रम में मानसून सत्र का आज तीसरा दिन था। जहां सदन की कार्यवाही शुरू होते ही कांग्रेस विधायक मनोज रावत ने वन मंत्री हरक सिंह रावत से कोरोना के कारण बेरोजगार हुए श्रमिकों की जानकारी मांगी और साथ। ही उन्हें घेरने की कोशिश की। जिसके जवाब में श्रम मंत्री हरक सिंह ने बताया कि क्षेत्रीय कार्यालयों को प्राप्त शिकायतों के मुताबिक इस दौरान 327 श्रमिकों की सेवा समाप्त की गई। साथ ही उन्होंने बताया कि कोरोना काल में कौशल विकास विभाग के पोर्टल पर 25,317 प्रवासी श्रमिकों ने वापस लौटने की जानकारी दी थी, परन्तु इसमें से अब अधिकांश लौट गए हैं। तो वहीं कहा कि सरकार बेरोजगार हुए लोगों के विभिन्न स्वरोजगार योजनाओं एवं मनरेगा के जरिए रोजगार के अवसर भी उपलब्ध करा रही है।
इसके बाद सत्ता पक्ष के विधायक उमेश शर्मा काऊ ने भी हरक सिंह रावत से सवाल पूछा कि सरकार द्वारा रिस्पना नदी के उद्गम स्थल पर लाखों की संख्या में वृक्षारोपण करके एक विश्व रिकॉर्ड बनाया गया था, परन्तु अब वहां अब कितने पेड़ जिंदा हैं। जिसके जवाब में श्रम मंत्री हरक सिंह रावत ने कहा कि काऊ भाई, रिस्पना नदी में आखिर क्या छुपा हुआ है। कहीं सोना तो नहीं दबा हुआ, क्योंकि त्रिवेंद्र भाई भी रिस्पना नदी के पीछे खूब पड़े हुए रहते थे।
तो वहीं विधायक काजी निजामुद्दीन के धान खरीद को लेकर पूछे सवाल पर भी सदन में तीखी बहस देखने को मिली। जहां काजी ने सरकार के आंकड़ों पर सवाल खड़ा करते हुए खरीद के आंकड़ों से घोटाला होने का संदेह लगाया। उन्होंने कहा कि 30 दिनों में 15 लाख मीट्रिक टन खरीद असंभव है। विपक्ष के तेवरों के बीच कृषि मंत्री सुबोध उनियाल ने कहा कि पूर्ववर्ती कांग्रेस सरकार के समय में भी 10 लाख मीट्रिक टन की खरीद हुई थी, तो क्या यह भी घोटाला था।