छड़ायल क्षेत्र में एक उपभोक्ता को 46.60 लाख रुपये बिल भेजने जाने का मामला सामने आने के बाद ऊर्जा निगम में खलबली मच गई है। स्मार्ट मीटर को लेकर हो रहे विरोध के बीच यह प्रकरण उजागर हुआ है। जिसने परेशानी का सबसे ज्यादा बढ़ाया है।
अधीक्षण अभियंता नवीन मिश्रा ने भी इसे गंभीरता से लिया है। वहीं, विद्युत परीक्षण खंड के अधिशासी अभियंता डीडी पांगती ने ग्रामीण डिविजन के जेई और मीटर लगा रही कंपनी के इंजीनियर व क्षेत्रीय प्रभारी को कारण बताओ नोटिस जारी किया है।
लापरवाही न बरतने को सख्त निर्देश
ईई पांगती ने बताया कि संबंधितों से मामले में तीन दिन के भीतर जवाब दाखिल करने को कहा गया है। मीटर लगाने काम में किसी भी प्रकार की लापरवाही न बरतने को सख्त निर्देश दिए गए हैं। साथ ही उपभोक्ताओं को स्मार्ट मीटर के लाभ और तकनीकी की जानकारी भी देने के लिए कहा है।इधर, एसई नवीन मिश्रा ने बताया कि छड़ायल क्षेत्र में 46.60 लाख रुपये से अधिक का बिल भेजने के मामले में पुराने मीटर की जांच कराई गई थी। ऐसे में पता चला कि पुराने मीटर की डिस्प्ले स्क्रीन में शुरुआत की एलईडी में दिक्कत थी। ऐसे में रीडिंग के दौरान शुरुआत का अंक शून्य होने के बजाए सात दिखाई दे रहा था। वहीं, 25 मार्च को स्मार्ट मीटर लगाया गया था। ऐसे में इसका बिल अगले माह जनरेट होगा। उनका कहना है कि नए मीटर में कोई दिक्कत नहीं है एई नवीन मिश्रा ने बताया संबंधित उपभोक्ता के मीटर की एमआरआइ कराई गई। साथ ही पुरानी पूरी रीडिंग का भी विवरण निकाला गया। इसमें प्रतिमाह का खर्च काफी सामान्य होने की पुष्टि हुई। पुराना बिल 46 लाख रुपये से अधिक था और इसमें संशोधन का अधिकार ईई स्तर के अधिकारी को होता है। ऐसे में जांच के बाद 330 रुपये बिल बना है। इसे संशोधित कर जारी करते हुए संबंधित उपभोक्ता को भी बता दिया गया है। एसई मिश्रा ने बताया कि पुराने और नए स्मार्ट मीटर की रीडिंग का अध्ययन किया गया। संबंधित उपभोक्ता की 18 से 24 मार्च तक दैनिक खपत 5.3 यूनिट से 6.8 यूनिट तक दिखी। जबकि स्मार्ट मीटर लगने के बाद 26 मार्च से एक अप्रैल तक की रीडिंग 2.85 यूनिट से 5.5 यूनिट तक दर्ज की गई।