उत्तराखंड की फेमस फोक सिंगर अनीशा रांगड का जन्म 1 अक्टूबर 2000 को माता श्रीमती बीना देवी एवं पिता श्री किशोर सिंह रांगड के घर ढालवाला ऋषिकेश उत्तराखण्ड में हुआ।अनीशा के परिवार में माता पिता के अलावा 4 छोटी बहिने और एक छोटा भाई भी है। उनका परिवार एक निम्न मध्यम वर्ग से है। परन्तु माता पिता ने अपने बच्चो के पालन पोषण व पढाई में कोई कोर कसर नहीं छोड़ी। उनका पैतृक गाँव “क्यारी” है जो की जनपद टिहरी गढ़वाल के लमगांव प्रताप नगर, विधान सभा के अंतर्गत आता है।
बता दे की बचपन से ही अनीशा पढाई लिखाई में क्लास में सबसे अव्वल रही। उनकी पहली कक्षा से लेकर आठवीं कक्षा तक की पढाई श्री लाल बहादुर शास्त्री जूनियर हाई स्कूल ऋषिकेश, तथा 9th से 10th THDC हाई स्कूल ऋषिकेश, और फिर 11th और 12th राजकीय कन्या इंटर कॉलेज ऋषिकेश से की।
उन्होंने BSc (भौतिक विज्ञान, रासायनिक विज्ञान, व गणित -PCM ) सन 2020 में प्रथम डिवीज़न से उत्तीर्ण की , फिलहाल अनीशा संगीत के साथ साथ गवर्नमेंट जॉब्स की तैयारी भी कर रही है।
आपको बता दे की अनीशा एक फुल टाइम सिंगर है जो अभी तक 400 से भी अधिक सुपर हिट “गढ़वाली”, “कुमाऊनी”, और “जौनसारी” गाने गा चुकी है।
वहीं अनीशा बताती है कि उनकी माता जी का गला बहुत ही सुरीला है और वो भी एक सिंगर बनना चाहती थी लेकिन परिवार की स्थिति कुछ अच्छी न होने के कारण ये हो न सका।लेकिन वो अनीशा को हमेशा संगीत के लिए प्रेरित करती रही और अपने सपनो को अपनी बेटी में देखती रही। अनीशा बताती है कि उनकी माता जी हिंदी सॉन्ग्स बहुत ही बेहतरीन तरीके से गाती है।
अनीशा ने अपनी माता जी से काफी कुछ सीखा और इस कारण वो अपने स्कूल कॉलेज के प्रोग्रामो में भी भाग लेती रही। फिर उन्होंने छोटे मोटे प्रोग्राम्स करने शुरू कर दिए ।
एक दिन उनकी मुलाकात किसी जानकर के द्वारा सोहनपाल रावत जी से हुयी। अनीशा बताती है कि उस समय उसे रिकॉर्डिंग , स्टूडियो और उत्तराखण्ड संगीत इंडस्ट्री के बारे में कोई जानकारी नहीं थी।
परन्तु सोहनपाल जी ने अनीशा से उनका मोबाइल नंबर लिया और चले गए। एक दिन सोहनपाल रावत जी का कॉल आया और उन्होंने बोला “कि मैंने सुना है कि आप अच्छा गा लेती हो तो क्या तुम मुझे अपनी आवाज में कोई गाना रिकॉर्ड करके भेज सकती हो ?”
फिर क्या था अनीशा ने उन्हें कुछ गुनगुना कर भेजा जो सोहनपाल रावत जी को बहुत ही पसंद आया और उन्होंने अनीशा को एक गाना ऑफर किया। अगले ही दिन उन्होंने अनीशा के घर पर बात की और देहरादून के लिए निकल गए।
जहा उन्हें गाना रिकॉर्ड करना था। सर्वप्रथम वे लोग संजय राणा जी के साज़ स्टूडियो पहुँचे जहां अनीशा की मुलाकात उत्तराखण्ड के फेमस सिंगर केशर पंवार से हुई।
जैसे ही केशर पंवार ने अनीशा की आवाज़ सुनी तो वो काफी प्रभावित हुए और उन्होंने अनीशा के साथ रिकॉर्ड करने की इच्छा जतायी। तो इस तरह से अनीशा का पहला गीत “खिलोरियाँ प्राण” केशर पंवार के साथ रिकॉर्ड हुआ। जोकि पंकज भारती स्टूडियो से रिकॉर्ड किया गया और ये गीत लोगो को काफी पसंदभी आये। इस गाने से अनीशा को उत्तराखण्ड संगीत जगत में कुछ पहचान मिली।
फिर इस जोड़ी ने लगातार एक के बाद एक कही हिट गाने एक साथ दिए। जिनमे से अनीशा और केशर पंवार का तीसरा गाना “कैन भरमाई (कोदु झंगोरु राठी)” सुपर डुपेर हिट साबित हुआ। उनके द्वारा गाये गये अधिकतर गीतों को केशर पंवार ने ही लिखा है।