देहरादून: उत्तराखंड परिवहन निगम द्वारा संचालित सुपर डीलक्स वोल्वो बस सेवा को लेकर यात्रियों की नाराज़गी लगातार बढ़ती जा रही है। निगम प्रबंधन के बार-बार निर्णय बदलने और आदेशों का पालन न होने से यात्री परेशान हैं। देहरादून-दिल्ली मार्ग पर ये बसें बिना अनुबंध कई स्थानों पर आधा से पौन घंटा तक रुक रही हैं।
देहरादून-दिल्ली मार्ग पर चलने वाली बसों को नॉन-स्टॉप सेवा के रूप में प्रचारित किया जाता है। साधारण बसों के मुकाबले ढाई गुना यानी 945 रुपये किराया वसूलने के बावजूद यह सेवा अब अपेक्षाओं पर खरी नहीं उतर रही। जहां पहले यात्री करीब साढ़े चार घंटे में दिल्ली पहुंच जाते थे, वहीं अब यही यात्रा सवा पांच से साढ़े पांच घंटे में पूरी हो रही है। नॉन-स्टॉप कहलाने वाली ये बसें अब रास्ते में मुजफ्फरनगर बाईपास और खतौली बाईपास जैसे स्थानों पर आधा से पौन घंटा तक रुक रही हैं।
चालक-परिचालकों की मनमानी
वॉल्वो बस यात्रियों ने बीते जून महीने में नॉन-स्टॉप सेवा के उल्लंघन को लेकर मुख्यमंत्री कार्यालय में शिकायत दर्ज कराई थी। जिसके बाद परिवहन निगम मुख्यालय ने आदेश जारी कर बसों को निर्धारित समय-साढ़े चार घंटे में दिल्ली पहुँचाने और केवल 15 मिनट प्रसाधन हेतु रुकने का निर्देश दिया था। लेकिन इसके बावजूद आदेशों का पालन नहीं हो रहा है। न तो ग्रामीण डिपो अधिकारी नियम लागू कर पा रहे हैं, न ही चालक-परिचालक अपनी मनमानी छोड़ रहे हैं।
निजी वोल्वो – स्लीपर बसों से डबल किराया
देहरादून से दिल्ली के बीच चलने वाली निजी वोल्वो और स्लीपर बसों का किराया परिवहन निगम की बसों से लगभग आधा है। इसके बावजूद यात्री भरोसे के चलते निगम की सेवाओं को प्राथमिकता देते रहे हैं। लेकिन अब लगातार बढ़ती दिक्कतों के चलते यह भरोसा कमजोर होता दिख रहा है। बसों को बिना अनुबंध वाले ढाबों पर 30–45 मिनट तक रोकना, बस अड्डे पर निर्धारित समय से पहले एसी न चलाना, एसी का मार्ग में बंद हो जाना ये परेशानियां इन बसों में आम बात हो गई है। ये बसें पहले से कम गति से भी चलती हैं जो यात्रियों को वक्त पर नहीं पहुंचा पाती.. यात्रियों को परेशानी उठानी पड़ती है। अब इन बसों की अधिकतम गति घटकर 60–65 किमी प्रति घंटा रह गई है। यात्रियों का आरोप है कि धीमी गति से चलाने का कारण डीजल बचाना है।
चालक-परिचालकों पर हो कार्रवाई
ग्रामीण डिपो के सहायक महाप्रबंधक प्रतीक जैन का कहना है कि पहले वोल्वो बसों को छपार टोल प्लाजा पर 10 मिनट के लिए रोका जाता था, लेकिन वहां की गंदगी के चलते यात्रियों ने विरोध किया। इसके बाद बसों को प्रसाधन सुविधा हेतु 15 मिनट किसी ढाबे पर रोका जाने लगा। उन्होंने कहा कि यदि चालक-परिचालक बसों को तय समय से अधिक देर रोकते हैं, तो उनके खिलाफ कार्रवाई की जाएगी। साथ ही परिचालकों को यह निर्देश दिया गया है कि वे यात्रियों को स्पष्ट रूप से बता दें कि बस केवल 15 मिनट के लिए रुकेगी।