देहरादून। केदारनाथ धाम में आस्था का सैलाब उमड रहा है। किन्तु केदारनाथ धाम आने वाले श्रद्धालुओं के लिए सबसे बड़ा सर दर्द हेली सेवा बनी हुई है।
22 अप्रैल से शुरू हुई चार धाम यात्रा के लिए अब तक 26 लाख 86 हजार से अधिक श्रद्धालुओं द्वारा रजिस्ट्रेशन कराया जा चुका है तथा छह लाख के आसपास श्रद्धालु अब तक चारों धामों की यात्रा कर चुके हैं सबसे अधिक श्रद्धालु 1 लाख 12 हजार के करीब केदारनाथ धाम पहुंचे हैं। केदार धाम जाने का भले ही श्रद्धालुओं में सबसे अधिक उत्साह दिख रहा हो लेकिन केदारधाम की व्यवस्थाएं इन दिनों सबसे अधिक लचर दिखी हैं, जहां पैदल मार्ग पर बर्फ व ग्लेशियर टूटने के कारण श्रद्धालुओं को भारी दिक्कतें उठानी पड़ रही है वहीं हेली टिकट उनके लिए सबसे बड़ा सर दर्द बनी हुई है। अगर मौसम की खराबी के कारण यात्री तय तारीख पर नहीं पहुंच पा रहे हैं या जिन्होंने एडवांस बुकिंग किसी कारणवश नहीं कराई उनसे 25कृ25 हजार तक किराया मांगा जा रहा है। हेली सेवाओं पर ही जो यात्री आश्रित है तथा जो शारीरिक रूप से कमजोर है घोड़ाकृखच्चर या पैदल यात्रा जिनकी सार्मथ्य से बाहर है ऐसे तमाम लोगों को बिना दर्शन किए ही वापस लौटना पड़ रहा है।
मौसम की विसंगतियों के कारण जो यात्री तय समय पर नहीं पहुंच सके उन्हें भी परेशान किया जा रहा है जबकि यात्रा को प्रशासन द्वारा ही रोका गया था। कई यात्रियों द्वारा इस तरह की शिकायतें की जा रही है कि उनसे मनमाना किराया मांगा जा रहा है जिनके पास पैसे हैं वह तो आसानी से जा पा रहे हैं लेकिन जिनके पास अधिक पैसे नहीं है उन्हें वापस लौटना पड़ रहा है। टिकटों की ब्लैक मेलिंग रोकने के तमाम प्रयासों और दावों के बीच यह भी सच है कि दलालों द्वारा अभी भी हेली टिकटों की ब्लैक मेलिंग की जा रही है। सरकार द्वारा हेली टिकट के लिए जो अधिकृत वेबसाइट काम कर रही है उसकी हालत यह है कि खुलने के साथ ही या तो उसका सरवर डाउन हो जाता है या फिर कुछ समय में बुकिंग फुल हो जाती है ऐसे में धाम जाने की इच्छा रखने वाले श्रद्धालु स्वयं को बेबस महसूस कर रहे हैं। अभी मौसम खराब होने के कारण केदारधाम के लिए 15 मई तक रजिस्ट्रेशन पर रोक लगाई हुई है लेकिन मौसम ठीक होने पर जब श्रद्धालुओं की भीड़ और अधिक बढ़ेगी तब इन व्यवस्थाओं का क्या हाल होगा समझ पाना मुश्किल है। धाम में रहने और खाने की व्यवस्थाओं के साथ श्रद्धालुओं को शौचालय की अव्यवस्था से भी जूझना पड़ रहा है। श्रद्धालुओं की संख्या सीमित रखने के फैसले को सरकार ने वापस जरूर ले लिया है लेकिन इस फैसले से श्रद्धालुओं की परेशानियंा और भी अधिक बढ़ने वाली है।