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Saturday, July 27, 2024

‘कृष्ण भक्त के हृदय और विरोधी की बुद्धि में करते हैं वास’

देहरादून,श्रीमद् भागवत सेवा जनकल्याण समिति के द्वारा आयोजित कथा क्लेमेंट टाउन सुभाष नगर देहरादून में आज सुखदेव महाराज ने राजा परक्षित को राम कथा सुनाई और फिर आज चतुर्थ दिवस की कथा श्री कृष्ण जन्म अष्टमी विशेष में आज की भागवत कथा की शुरुआत राघव सरकार के विवाह उत्सव और जनकपुर के राम सीता की विवाह के उत्साह पर चर्चा की और महाराज जी ने खूब गीत गाये, उसके बाद अगस्त ऋषि की कथा और राम कथा का सूक्ष्म समापन रावण वध के साथ और राज्याभिषेक से समापन किया।
श्रीमद् भागवत सेवा एवं जन कल्याण समिति क्लेमेंट टाउन सुभाष नगर देहरादून में आयोजित भागवत कथा के चतुर्थ दिवस जन्माष्टमी के अवसर पर कथावाचक आचार्य पवन नंदन जी महाराज ने खूब भजन गाये और पूरा माहौल कृष्णमय कर दिया।
जन्माष्टमी पर विशेष आयोजनफिर चंद्र वंश की कथा में प्रवेश करते हुए कृष्ण-भक्ति दोहे के साथ भागवत कथा के चतुर्थ दिवस पर श्याम के भजन विशेष रूप से गाते हैं वो इस कथा में भक्तों को खुब नचाते हैं और खूब भजन गाये और पूरा माहौल कृष्णमय कर दिया।
आज की कथा में महाराज जी के श्री मुख से कुछ लाइन श्री बृज बिहारी के लिए इस प्रकार से है: भाद्र-अष्टमी जन्म लें, मथुरा कारागार। शयन करें पितु शीर्ष पर, आते यमुना पार।। शिशु-कन्या सँग आ गई , लीला कथा महान। कंस धरे पटकन जभी, वाचा दले गुमान।।देव-कोटि ऋषि से लिये, ज्ञान भागवत धर्म।भगवद्गीता ज्ञान में, जग को दें प्रभु मर्म।।कृष्ण ध्यान रहते सभी, जाते हैं श्री क्षेत्र। बहिन संग द्वय भ्रात हैं, जो देखें निज नेत्र।। जग बसता जगदीश में, जो हैं राधा कान्त। जुगल रूप के भाव में, होता मानस शान्त।।
मधुर भाव की साधना, देती मन आलोक। प्रकृति ब्रह्म में भाविता, दूर करे त्रय-शोक।
जीवन दर्शन का सद् ग्रंथ है श्रीमद् भागवत
कृष्ण ऐसे देव है जो भक्त के हृदय में और विरोधी की बुद्धि में बसते हैं। सिर्फ धर्म की रक्षा के लिए विचरण करते रहते है। जगत के अधर्मियों के नाश के लिए खुद के यदु वंश मे अधर्म देख यदु वंश का आँखों के सामने नाश होते देखते हैं। धैर्य इतना की शिशुपाल दुर्योधन के किए अपमान का भी समय आने पर निर्णय लेते हैं। जगत की इतनी चिंता की परीक्षित को मृत्यु से पूर्व भागवत कथा सुनने प्रेरित करते हैं, जो कथा आज भी सनातन के जीवन दर्शन का सद् ग्रंथ है। इसी क्रम में महाराज जी ने कहा कि भगवान कृष्ण का जन्मदिन श्रीकृष्ण जन्माष्टमी को गोकुलाष्टमी के नाम से भी जाना जाता है| भागवत पुराण में वर्णित कृष्ण के जीवन कथा के अनुसार जन्माष्टमी पर्व मध्य रात्रि मे कृष्ण जन्म के उपलक्ष्य मे उपवास, रात्रि जागरण और नृत्य-नाट्य अभिनयो और मध्य रात्रि भक्ति गायन के माध्यम से मनाया जाता है। श्रीकृष्ण-जन्माष्टमी पर महाराज ने कहा पराई स्त्री मां समान अगर प्राणी मानने लग जाए तो आज कल जो घटनाएं होती है वो लव जिहाद जैसी घटनाएं होनी बंद हो जाएगीं।
माखन मिसरी का भोग आज कथा में लगाया गया और गुब्बारों से पूरे पांडाल को सजाया गया। भारतवर्ष में रहने वाला जो प्राणी श्रीकृष्ण जन्माष्टमी का व्रत करता है, वह सौ जन्मों के पापों से मुक्त हो जाता है। इसमें संशय नहीं है। वह दीर्घकाल तक वैकुण्ठलोक में आनन्द भोगता है। फिर उत्तम योनि में जन्म लेने पर उसे भगवान श्रीकृष्ण के प्रति भक्ति उत्पन्न हो जाती है-यह निश्चित है।अग्निपुराण के अनुसार इस तिथि को उपवास करने से मनुष्य सात जन्मों के किये हुए पापों से मुक्त हो जाता हैं। अत:एव भाद्रपद के कृष्णपक्ष की अष्टमी को उपवास रखकर भगवान श्रीकृष्ण का पूजन करना चाहिये। यह भोग और मोक्ष प्रदान करनेवाला हैं। भविष्यपुराण के अनुसार कृष्ण जन्माष्टमी व्रत जो मनुष्य नहीं करता, वह क्रूर राक्षस सम माना गया है। स्कन्दपुराण के अनुसार जो व्यक्ति कृष्ण जन्माष्टमी व्रत नहीं करता, वह जंगल में सर्प और व्याघ्र होता है।
श्रीकृष्ण के अवतार की कथा का मनोहारी वर्णन
आचार्य पवन नंदन जी महाराज के मुखारविंद से गाई जा रही श्रीमद भागवत कथा के चतुर्थ दिवस महाराज ने भगवान श्रीकृष्ण के अवतार की कथा का मनोहारी वर्णन करते हुए कहा की भगवान के धरती पर आने का क्या कारण है। जब पृथ्वी लोक पर पाप बढ़ जाते हैं तब भगवान धर्म और धरती की रक्षा के लिए अवतरित होते हैं। वह हमारे जीवन वल्लभ हैं हमारे प्राण हैं। नंद के आनंद भयो जय कन्हैया लाल की जैसे ही श्री कृष्ण जन्म का प्रसंग आया तो मैं पंडाल में हजारों श्रद्धालुओं का सैलाब उमड़ आया पूरे पंडाल में नंद के आनंद भयो जय कन्हैया लाल की के जयकारों की गूंज रही।गाजे-बाजे की धुन पर श्रद्धालु झूम झूम कर नाचने लगे। भगवान श्री कृष्ण के जन्मोत्सव पर पूरे पंडाल में महिलाएं बच्चे और बूढ़े सभी श्रद्धालु द्वारा नाच गाकर और पुष्प वर्षा कर धूमधाम के साथ भगवान का जन्म उत्सव मनाया ।आज के कार्यक्रम में आज के यजमान रहे राजेश कुंवारिया। इनके अतिरिक्त कार्यक्रम में भक्ति रस का पान करने दीपक गोयल, अध्यक्ष प्रेम सिंह भंडारी, सचिव नवीन जोशी, विधायक धरमपुर विनोद घमोली, दिनेश जूयाल अभिषेक परमार, आनंद सिंह रावत, गणेश, विनोद राई, प्रदीप राई, कैलाश चंद भट्ट, सुमित मेहता, केवलानंद लोहानी, प्रमिला नेगी, मालती राई, कैलाश चंद भट्ट, गीता, विमला , कादंबरी शर्मा, धन सिंह फर्त्याल, दीपक सिंह गोसाई आदि गणमान्य लोग मौजूद रहे।

 

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