चमोली। चमोली जिला का एक ऐसा दूरस्थ एवं दुर्गम गांव जहां जाने के लिए 25 किलोमीटर पैदल मार्ग से चलना पड़ता है, जहां के लोग आज भी स्वास्थ्य ,सड़क एवं दूरसंचार जैसी मूलभूत समस्याओं से जूझ रहे हैं, जहां के लोग आज भी इन सुविधाओं का लाभ नहीं उठा पाए,एक तरफ जहां देश तरक्की कर रहा है और इंसान चांद पर पहुंच गया है, वहीं उत्तराखंड के चमोली जिले का दूरस्थ गांव डुमक कल गोट अपनी मूलभूत समस्याओं से जूझ रहा है, हालांकि यहां के ग्रामीण रोजमर्रा की चीजें लेने के लिए घोड़ा एवं खचरों से 25 किलोमीटर पैदल मार्ग से बाजार तक पहुंचते हैं।
यदि इस गांव में महिला एवं कोई बुजुर्ग बीमार पड़ जाता है तो, बीमार व्यक्ति को यहां के ग्रामीण दो पहिया चलने वाली गाड़ी से दंडी कंडी के सहारे अपने कंधों से लादकर बीमार व्यक्ति को स्वास्थ्य समुदायिक केंद्र तक पहुंचाते हैं। सच ही कहते हैं कि पहाड़ का जीवन बड़ा कठिनाइयों से भरा होता है, जो की आप तस्वीरों में देख सकते हैं कि किस प्रकार यहां के ग्रामीण पैदल चलने के लिए मजबूर है ये तस्वीरों में साफ साफ बयां हो रहा है। बड़ी बात तो यह है कि इस गांव में बच्चे ऑनलाइन पढ़ाई नहीं कर पा रहे है।
यहां के ग्रामीणों के बच्चों का कहना है कि दूर ऊंचाई पर जाकर कहीं पर नाम मात्र संचार व्यवस्था सूक्ष्म रूप से पकड़ता है, और बच्चे वहीं पर जाकर ऑनलाइन पढ़ाई कर पाते हैं, और तो छोड़िए इस गांव तक जाने के लिए पैदल मार्ग तक ठीक ढंग से नहीं बना हुआ है, पहाड़ों से गुजारना पड़ता है और पहाड़ टूटने का खतरा अलग से बना हुआ रहता है, यदि पहाड़ का कोई एक हिस्सा टूट जाए तो कभी भी कोई बड़ी घटना हो सकती है, रास्ते में जंगली जानवरों का अलग से खतरा बना रहता है, अपनी मूलभूत समस्याओं से, जूझ रहा है यह गांव, यहां के ग्रामीण हर दिन सड़क के इंतजार में आस लगाए हुए रहते हैं। लेकिन यहां के ग्रामीणों की समस्या जस की तस आज भी पड़ी हुई है।
naveen bhandari