पंजाब में कांग्रेस पार्टी प्रदेश अध्यक्ष नवजोत सिंह सिद्धू का इस्तीफा प्रभारी हरीश रावत के लिए भी बड़ा धक्का माना जा रहा है। अगर ऐसा हुआ तो उनके कुशल राजनीतिक प्रबंधन की छवि को बड़ा झटका लगने की आशंका है।
पंजाब के मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह का इस्तीफा और चरणजीत चन्नी को पद मिलना, रावत की बड़ी राजनीतिक चतुराई वाली जीत के तौर पर देखा जा रहा था।परन्तु अब एक बार पुनः सियासी फेर बदल दिखाई दे रहे हैं।
कैप्टन से बगावत करके जब दाल के चार कैबिनेट मंत्री और तीन विधायक पंजाब से देहरादून पंजाब प्रभारी हरीश रावत से मुलाकात करने पहुंचे थे। उस समय हरदा ने पंजाब में कैप्टन के नेतृत्व में चुनाव में जाने की बात कही थी।तो वहीं दूसरी ओर नेतृत्व के बदलाव के बाद सत्ता चरणजीत चन्नी को सौंपे जाने के दौरान उन्होंने कहा कि अगला विस चुनाव नवजोत सिंह सिद्धू के नेतृत्व में लड़ा जाएगा। जिसको लेकर पार्टी केअंदर ही अंदर बवाल मचाना शुरू हो गया था।
वहीं पंजाब कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष सुनील जाखड़ ने भी प्रभारी हरीश रावत के इस बयान पर असहमति जताई और खुले तौर पर विरोध भी किया था। उन्होंने इसे मुख्यमंत्री के अधिकार को चुनौती देने वाला बताया था। इसके बाद हरीश के इस बयान से पार्टी ने ही अपना पल्ला झाड़ दिया था।