कैबिनेट मंत्री प्रेमचंद अग्रवाल ने इस्तीफा दिया है। उन्होंने कहा कि जिस प्रकार से वातावरण बनाया गया। आज साबित करना पड़ रहा है कि उत्तराखंड के लिए योगदान दिया। राज्य आंदोलन में लाठियां खाईं। ऐसे व्यक्ति को टारगेट बनाया जा रहा है। आहत हूं, ऐसे में मुझे इस्तीफा देना पड़ रहा है।
इसके बाद से राजनीतिक हलचल तेज हो गई है। प्रेम चंद अग्रवाल ने आनन-फानन में प्रेस कान्फ्रेंस बुलाई थी। बता दें कि विधानसभा के बजट सत्र में इनकी एक विवादित टिप्पणी के बाद राज्य के कई हिस्सों में विरोध हुआ था। शून्यकाल के दौरान की थी टिप्पणी
बजट सत्र के पहले दिन विपक्ष की ओर से राज्यपाल के अभिभाषण का विरोध किया जा रहा था, तब द्वाराहाट के विधायक बिष्ट और मंत्री अग्रवाल के बीच हुई तीखी नोकझोंक चर्चा के केंद्र में रही थी।सदन में शून्यकाल के दौरान संसदीय कार्यमंत्री अग्रवाल, कांग्रेस विधायक मनोज तिवारी की कार्यस्थगन की सूचना का जवाब दे रहे थे। इसी दौरान विधायक बिष्ट ने साथी विधायकों से बातचीत में कथित तौर पर क्षेत्रवाद से संबंधित टिप्पणी की। मंत्री अग्रवाल ने इसे लेकर कड़ा ऐतराज जताया। फिर तो सदन में काफी देर तक हंगामे जैसी स्थिति रही।विधानसभा अध्यक्ष ऋतु खंडूड़ी भूषण ने इस घटनाक्रम पर सख्त लहजे में कहा कि सदन की कार्यवाही को पूरा देश देख रहा है। देश से पहले विदेश से टिप्पणी आने लगती है कि आपके सदन में क्या चल रहा है। उन्होंने कहा कि हम उत्तराखंड के लोग हैं। ऐसा व्यवहार न करें। राज्य के लिए सबने लड़ाई लड़ी। ऐसी टिप्पणी लोकतंत्र के मंदिर में होगी तो यह बेहद दुर्भाग्यपूर्ण है।इसके बाद उत्तराखंड में प्रदर्शन का दौर शुरू हो गया। गढ़वाल से लेकर कुमाऊं तक पुतला दहन और विरोध किया गया। नारेबाजी करते हुए प्रेमचंद अग्रवाल को मंत्री पद से हटाने की मांग की गई।