प्रदेश में सिंचाई नहरों, नलकूप व लिफ्ट नहरों का संचालन ग्राम पंचायतों की समिति के माध्यम से किया जाएगा

प्रदेश में सिंचाई नहरों, नलकूप व लिफ्ट नहरों का संचालन ग्राम पंचायतों की समिति के माध्यम से किया जाएगा। मुख्य सचिव आनंद बर्द्धन ने सोमवार को सचिवालय में सिंचाई एवं लघु सिंचाई विभाग की समीक्षा बैठक में अधिकारियों को इसके निर्देश दिए।

उन्होंने सिंचित व असिंचित क्षेत्र की माप के लिए आधुनिक तकनीकी का उपयोग करने, सिंचाई अनुसंधान संस्थान के माध्यम से सिंचाई क्षमता व अच्छी खेती वाले क्षेत्र चिह्नित करने और नहरों के मरम्मत कार्य के लिए प्राथमिकता निर्धारित करने पर भी जोर दिया।

खाली भूमि पर सौर ऊर्जा संयंत्र करें स्थापित

मुख्य सचिव ने नलकूप व लिफ्ट नहर जैसी योजनाओं के लिए सौर ऊर्जा संयंत्रों पर ध्यान केंद्रित करने को भी कहा। साथ ही सिंचाई विभाग को खाली पड़ी अपनी भूमि पर सौर ऊर्जा संयंत्र स्थापित करने के निर्देश दिए।

उन्होंने कहा कि इस वर्ष एक मेगावाट सौर ऊर्जा का लक्ष्य निर्धारित किया जाए। इससे बिजली खर्च में कमी आएगी। उन्होंने सिंचाई विभाग की बड़ी परियोजनाओं के कार्य तय समयावधि के भीतर पूर्ण कराने, सभी कार्यों के लिए प्राथमिकता तय करने, जिन क्षेत्रों में सिंचाई व जल संरक्षण की अत्यधिक आवश्यकता है, उन्हें प्राथमिकता देने को भी निर्देशित किया।बड़ी परियोजनाओं का सचिव स्तर पर हो अनुश्रवण

जमरानी व सौंग बांध परियोजना, बलियानाला भूस्खलन उपचार जैसी बड़ी परियोजनाओं का जिक्र करते हुए मुख्य सचिव ने सचिव स्तर पर मासिक और विभागाध्यक्ष स्तर पर साप्ताहिक अथवा पाक्षिक स्तर पर अनुश्रवण के निर्देश दिए।

साथ ही अल्पकालिक, मध्यकालिक व दीर्घकालिक योजनाओं के लक्ष्य बढ़ाने और डा श्यामा प्रसाद मुखर्जी जलाशय निर्माण के लिए वन एवं पर्यावरण की क्लीयरेंस लेने के कार्य में तेजी लाने को कहा। लघु सिंचाई की समीक्षा में उन्होंने ड्रिप व स्प्रिंकल योजना पर ध्यान केंद्रित करने पर जोर देते हुए कहा कि भूजल की कमी वाले स्थानों में यह लाभप्रद होगी। साथ ही पर्वतीय क्षेत्रों में सौर ऊर्जा से संचालित होने वाली लघु सिंचाई योजनाएं बढ़ाने को कहा।

वर्ष 2029 तक पूर्ण होगी सौंग बांध परियोजना

सचिव सिंचाई डॉ. आर राजेश कुमार ने प्रस्तुतीकरण के माध्यम से बताया कि जल संचयन, संवर्द्धन, पेयजल व सिंचाई के लिए बांध, बैराज, जलाशय, चेकडैम के निर्माण कार्य कराए जा रहे हैं।

उन्होंने बताया कि देहरादून जिले में सौंग बांध पेयजल परियोजना का निर्माण पिछले वर्ष नवंबर में शुरू हुआ। 2491.96 करोड़ की इस योजना को दिसंबर 2029 तक पूर्ण कर लिया जाएगा। इसी तरह कुमाऊं क्षेत्र में 3808.16 करोड़ की लागत वाली जमरानी बांध बहुउद्देशीय परियोजना का निर्माण जून 2024 में शुरू हुआ, जिसे मार्च 2030 तक पूर्ण करने का लक्ष्य है।

उन्होंने यह भी जानकारी दी कि आईआरआई रुड़की को जलागम विभाग ने स्रोत एवं नदी पुनरुद्धार प्राधिकरण के अंतर्गत वर्षा आधारित नदियों, जलधाराओं के पुनर्जीवीकरण व उपचार कार्यों से इनके प्रवाह में आए प्रभावों का सतत आकलन करने के लिए कार्यदायी संस्था नामित किया है।

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